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Titali Hai Khamosh / तितली है खामोश दोहा संग्रह

Author Name: Satywan Saurabh | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

 दोहा तुलसी और जायसी का छंद है, तो रहीम और रसखान तथा वृंद और बिहारी का भी, किंतु वास्तव में यह कबीर का छंद है। 21वीं सदी में नये-नये दोहाकार साहित्य-जगत् में दस्तक दे रहे हैं, जिनके दोहों की भाषा-शैली पर कबीर का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है। युवा कवि सत्यवान 'सौरभ' एक ऐसे ही संभावनाशील दोहाकार हैं, जो, अपने सृजन के माध्यम से, दोहा छंद की सार्थकता सिद्ध कर रहे हैं। उनका नव-प्रकाशित दोहा-संग्रह 'तितली है खामोश' इस सत्य का साक्षी है।

कविता, गीत, गजल आदि अनेक साहित्यिक विधाओं के साथ विभिन्न विषयों पर फीचर लिखने वाले सत्यवान 'सौरभ' को दोहा-लेखन में विशेष सफलता मिली है। इनके दोहों का विषय-वैविध्य सहज ही द्रष्टव्य है। बचपन, माता-पिता, घर-परिवार, रिश्ते-नाते, पारिवारिक विघटन, बदलते परिवेश और पर्यावरण-प्रदूषण से लेकर सांस्कृतिक प्रदूषण तक सभी विषयों पर इन्होंने लेखनी चलाई है। पाश्चात्य संस्कृति तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कारण बदलती परिस्थितियों ने सर्वाधिक प्रभाव हमारे घर-परिवार और ग्राम्य जीवन पर डाला है।  विकास की अंधी दौड़ ने बच्चों का बचपन, घर-परिवार की सुख-शांति और गांव-देहात का भाईचारा छीन लिया है।

सत्यवान ‘सौरभ’ का यह दोहा संग्रह कुछ आप बीती और कुछ जगबीती से परिपूर्ण है। यह वर्तमान समय से संवाद करता हुआ काव्य कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।  सत्यवान ‘सौरभ’ के दोहा संग्रह “तितली है खामोश” के दोहे आज के सामाजिक परिवेश आवश्यकताओं तथा लोक की भावनाओं का जीवंत चित्रण है। युवा दोहाकार ने अपने दोहों में जीवन के हर पहलू को छुआ है। सहज और सरल भाषा के साथ इस कृति के दोहों का धरातल बहुत विस्तृत है।

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सत्यवान 'सौरभ'

सत्यवान 'सौरभ' का जन्म 3 मार्च 1989 को बड़वा, सिवानी, भिवानी (हरियाणा) में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ.  बचपन से  'सौरभ' ने आर्थिक लाचारियों और  मजबूरियों को महसूस किया. उन्होंने यह सब छोटी उम्र में महसूस किया जिससे वह अपनी उम्र से ज़्यादा परिपक्व हो गये. पहले बच्चों को ट्यूशन दी और बाद में जल्दी सरकारी सेवा में आ गए. नौकरी के साथ-साथ राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की.

सत्यवान 'सौरभ' पिछले बीस वर्षों से लगातार लिख रहे हैं और अपनी विशिष्ट भाषा, आलोचनात्मक शैली और सपाटता के कारण अपनी पहचान बनाई है। अब तक उनके हजारों निबंध लेख हजारों पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने संपादकीय लेखों के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। जीवन-संघर्ष और समसामयिक समस्याएं उनके लेखन के केंद्र में हैं, जिनकी मदद से वे अपने समाज और पर्यावरण की आधुनिक वास्तविकता को ईमानदारी से समझने और समझाने का भरसक प्रयास करते हैं।

वर्तमान  हिंदी साहित्य में सत्यवान 'सौरभ' लेखक एवं कवि के रूप में जाने जाते है. सत्यवान 'सौरभ'  प्रतिभा के धनी रहे है; ये लेखक,कवि, फीचर लेखक, सम्पादकीय लेखक हैं. ऐसी विशिष्ट प्रतिभा के व्यक्ति बहुत कम ही होते है. इन्होंने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है. सत्यवान सौरभ ने कवि के रूप मे अपनी सबसे पहला कविता संग्रह 'यादें' 2005 में कक्षा ग्यारह में पढ़ते हुए लिखा और प्रकाशित करवाया; उन्हें इस कविता संग्रह पर काफी सराहा गया. आज इनके लिखे दोहे और सम्पादकीय देश-विदेश की हज़ारों पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहें है.

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