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Uttara Kanda Prasanga Evam Samnyasadhikar Vimarsha / उत्तरकाण्ड प्रसंग एवं संन्यासाधिकार विमर्श

Author Name: Shri Bhagavatananda Guru | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

उत्तरकाण्ड प्रसङ्ग एवं संन्यासाधिकार विमर्श नाम की यह पुस्तक चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर श्री रामभद्राचार्य जी के अशास्त्रीय वक्तव्य एवं धारणाओं का बचाव करने वाले उनके पक्षधरों के विरुद्ध निग्रहाचार्य  श्रीभागवतानंद गुरु के द्वारा लिखी गयी है | इस पुस्तक में उत्तरकाण्ड एवं उसके प्रसंगों को प्रामाणिक सिद्ध करते हुए श्रीभागवतानंद गुरु ने श्री रामभद्राचार्य जी के संन्यासी या जगद्गुरु होने के अधिकार एवं औचित्य पर प्रश्नचिह्न खड़े किये हैं | इस पुस्तक में सनातन धर्म के ग्रंथों में प्रक्षिप्त अंशों की संभावना व्यक्त करने वाले मत का भी खंडन किया गया है जिसका उत्तर रामभद्राचार्य ने "सीता निर्वासन और शम्बूक वध नहीं" पुस्तक लिख कर दिया है। उसके प्रतिखण्डन में निग्रहाचार्य ने "मूरख हृदय न चेत" लिखकर रामभद्राचार्य को लिखित शास्त्रार्थ में प्रमाणों के द्वारा पराजित किया और उत्तरकाण्ड को प्रामाणिक और रामायण का वास्तविक अंश सिद्ध किया।

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श्रीभागवतानंद गुरु

श्रीमन्महामहिम विद्यामार्तण्ड श्रीभागवतानंद गुरु (श्रीनिग्रहाचार्य) भारत के वरिष्ठ धर्माधिकारी एवं लेखक हैं | बाल्यकाल से ही सनातन धर्म के ग्रन्थों एवं विषयों पर व्याख्यान तथा लेखन करना इनकी विशेषता रही है | इन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में अनेकों पुस्तकों का लेखन किया है |

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