You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"विशुद्ध अनुभूतियाँ - द्वितीय भाग" पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत है। जो स्वाभाविक रूप से प्रथम भाग में वर्णित लेखों के आगे के लेखों का वर्णन है।
चित्त के विकार के अंतर्गत इंद्रियों की माया, समय की युक्ति/छल, आवेग एवं इच्छाएँ, मान्यताएं, ज्ञान संबंधी पूर्वाग्रह, सकल सामान्यीकरण, अंध विश्वास, आस्था, अप्रत्यक्ष ज्ञान, भ्रम, संदेह, आसक्ति, मिथक, वैज्ञानिक सिद्धांत, गणितीय माडल, प्रतिरोध, पीड़ा, दर्द, नकारात्मकता, नीरसता, अवसाद, मूर्खता, कठोरता, भ्रम, चंचलता.. विषय लिए गए हैं। आवश्यक विस्तृत वर्णन किया गया है। इनसे पार कैसे पाया जाय ये भी बताया है।
अहंकार और उसकी प्रवृत्तियां, उसके विकार - भय, क्रोध, वासना, लोभ, आलस्य, ईर्ष्या, अभिमान, छल, आसक्ति, स्वामित्व, प्रेम, घृणा, आत्म दया, भी आवश्यक विस्तार से लिखा गया है।
शरीर का अनुभव, शरीर तथा उनके चालक, व्याधि, विकृति, विकलांगता, मृत्यु,मृत्यु का भ्रम, जीवित मृत्य, मस्तिष्क प्रति चित्त, जगत का अनुभव एवं उसकी माया जैसे विषयों पर लेखन भी सम्मिलित है।
तरुण प्रधान
गुरुजनों का परिचय उनका ज्ञान ही होता है। श्री तरुण प्रधान जी, एक आध्यात्मिक गुरु हैं, जो वर्तमान में पुणे के तम्हिनी घाट क्षेत्र में प्रवास करते हैं। बाल्यकाल से ही आप अध्यात्म की ओर प्रेरित रहे और बाद में शास्त्रों के गूढ़ ज्ञान को आत्मसात कर, उसके प्रबल शोधकर्ता रहे हैं। आपने इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में स्नातकोत्तर शिक्षा से अर्जित वैज्ञानिक तकनीकों का भरपूर और अभूतपूर्व उपयोग कर, इस दुर्लभ ज्ञान को एक व्यवस्थित और सरल पद्धति द्वारा हिंदी और अंग्रेजी में साधकों को, ज्ञानदीक्षा और त्रिज्ञान (आत्म - माया - ब्रह्म ज्ञान ) कार्यक्रमों के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध करवाया है। तंत्र बोधि एवं अनुज्ञान इसी दिशा में नवीनतम संकलन के रूप में सम्मिलित किए गए हैं।
साधकों की सहायता के लिए हिंदी और अंग्रेजी में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन श्री तरुण जी द्वारा किया जाता है, जिनमें खोजी जिज्ञासुओं के आध्यात्मिक प्रश्नों एवं शंकाओं का समाधान किया जाता है। आपके द्वारा सभी आध्यात्मिक कार्यक्रमों तथा पाठ्यक्रमों में उच्च स्तरीय शोध कार्य भी निरंतर चलाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष ऑफलाइन सत्संग कार्यक्रमों का आयोजन भी उनके द्वारा हो रहा है। बैंगलोर का कार्यक्रम पुणे, दिल्ली, मुंबई, रायपुर एवं मेरठ में आयोजित कार्यक्रमों की शृंखला की ही एक कड़ी है। दृढ़ संकल्प शक्ति, पूर्ण समर्पण और स्वीकार भाव से इस निःशुल्क ज्ञान प्रसार में निष्ठापूर्ण तरीके से आप अपने जीवन-लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
ये पुस्तक उनके ज्ञान प्रसार कार्यक्रम का ही एक भाग है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.