“देखो राम, मैं एक आवारा, स्वच्छंद और विद्रोही स्वभाव का युवक था| रही सही कसर मेरे शराबी और जुआरी दोस्तों की संगति ने पूरी कर दी थी| मैं ऐसी मानसिक अवस्था से गुजर रहा था कि मुझे नैतिक, अनैतिक या सामाजिक प्रतिष्ठा का तनिक भी ख्याल नहीं आया| मेरे अंदर तो शैतान बैठा हुआ था| मैं उसके वशीभूत होकर ही यह सब कर रहा था| हर व्यक्ति के अंदर साधू और शैतान बैठा होता है| जो मन को वश में कर ले वो साधू और जो मन के वश में हो जाए वो शैतान| हर इंसान भोगी और योगी होता है| हर