सरकारी सुविधाओं के लालच में वह हिन्दू धर्म के आधार पर जाति प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं और अपने आप को बोद्ध कहने में सकुचाते हैं। इसी कारण उनके अधिकारों पर संकट के बादल छा रहे हैं, क्योंकि वह संगठित ही नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि तथाकथित नव बोद्ध भी उनकी ईश्वरवादी आस्था के कारण उनसे दूरी बनाकर रखते हुए देखे जा सकते हैं। वह नव बोद्ध भी उनको अपने समाज का हिस्सा ही नहीं मानते हैं।