यह पुस्तक समर्पित है उन तमाम नन्ही-नन्ही कलियों को जो माँ की कोख़ में आने के बाद सिर्फ इसलिए जन्म नहीं ले पायी क्योंकि वह एक मानवीकृत यन्त्र द्वारा पहचानी गयी कि वह एक कली है और उनको वहीं ख़त्म कर दिया गया और साथ ही साथ उन तमाम महिलाओं को जो अपने वर्चस्व की लडायी में हमेशा लडती रही और न जाने कहाँ गुमनामी के अंधेरे में खोकर रह गयी।