जब भी महिलाओं के प्रति अपराध होते है. आप यकीन मानिए दिल बहुत रोता है. हमारा अंतर्मन भी यही सवाल करता है.
क्यू महिलाओ के प्रति हमारी सोच नही बदलती?
क्यू हम आज भी महिलाओ को उपभोग की वस्तु समझते है?
क्यू महिलाए अपने साथ हो रहे अपराध के खिलाफ आवाज नही उठाती?
आज भी हमे दुख है. वह सदियो पुराना सवाल वही खड़ा होकर हमसे पूछ रहा देश मे महिलाए क्यू सुरक्षित नही है?
महिलाए यदि सुरक्षित रहना चाहती है. महिलाए समाज मे अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहती है.
तो वह जरूर पढ़े हमारा उपान्यास, जो आपके लिए ही बना है.
लेखक मान सिंह नेगी
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