पतंजलि तथा भारत के तमाम अन्य सिद्धयोगियों ऋषि-मुनियों द्वारा यह प्रामाणिक तौर पर घोषणा की गयो कि प्राणायाम एक पूर्णरूपण वैज्ञानिक पद्धति है। इस पद्धति से हड्डी संबंधित रोगों को छोड़कर अन्य प्रायः सभी प्रकार को असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। जब शरीर स्वस्थ होगा तो यह स्वाभाविक शाश्वत सत्य है कि मन भी स्वस्थ होगा। मन स्वस्थ होगा तो मन शान्त होगा उसमें एकाग्रचित्तता होगी। एकाग्रचित्तता से समाधि की प्राप्ति सहज ढंग से हो जाती है।