"तुम अनंत हो" एक आंतरिक यात्रा का मार्गदर्शन है — जहाँ पाठक स्वयं से पहली बार मिलते हैं, अपने भीतर छुपी शक्ति को पहचानते हैं और जीवन के गहरे रहस्यों को समझते हैं। डॉ. मुकेश अग्रवाल की यह कृति देह, मन, बुद्धि और आत्मा की परतों को खोलते हुए आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है। यह केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक साधना है — जो जीवन की भागदौड़ में थमे व्यक्ति को मौन, ध्यान और संतुलन का स्पर्श देती है। स्वयं को जानने की यात्रा अभी शुरू करें — क्योंकि तुम अनंत हो।
मुख्य बिंदु:
देह-मन-आत्मा की गहराई से व्याख्या – आधुनिक और शास्त्रीय दृष्टिकोण का संगम
प्रयोगात्मक ध्यान और प्राणायाम विधियाँ – शुरुआती साधकों के लिए मार्गदर्शन
संतुलित दिनचर्या और वाणी की साधना – अध्यात्म को जीवन में उतारने की कला
कर्म, माफ़ी और पीड़ा की आध्यात्मिक व्याख्या – गीता और उपनिषदों से प्रेरित
हर अध्याय के अंत में आत्ममंथन प्रश्न – पाठक को भीतर झाँकने का अवसर