सफलता एक अत्यंत भ्रामक शब्द है और यह अनेक दृष्टिकोणों को दर्शाता है । सफलता का एक आदर्श अर्थ किसी एक रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता । सफलता की कोई एक आदर्श परिभाषा देना संभव नहीं । यह उतना ही कठिन है जितना कि धर्म को या इस सृष्टि को कुछ शब्दों में परिभाषित करना । इसके अनेक रूप हैं, अनेक प्रकार है ; जितने लोग- सफलता की उतनी ही परिभाषाएं । हर विद्वान सफलता को अलग तरह से परिभाषित करता है, किन्तु इन सभी विविधताओं और विरोधाभासों के आधार में कुछ सामान्य मौलिक धारणाएं हैं जिससे यह पता चलता है कि इन सभी विचारों के भीतर एक ही आत्मा निवास करती है । उसी आदर्श अर्थ और स्वयं को सफल कैसे बनाएं- इस प्रश्न के उत्तर को भारतीय दर्शन में तलाशने का प्रयास करती है यह पुस्तक ।
प्राचीन भारतीय दर्शन में हमारे सभी आधुनिक प्रश्नों और समस्याओं के समाधान उपस्थित हैं । आवश्यकता है तो उस दर्शन को पढ़ने और समझने की । जिन पुस्तकों को हमने धार्मिक पुस्तकें मानकर मंदिर के भीतर रख दिया है, समय है उन्हें पुनः खोलकर एक नए दृष्टिकोण से पढ़ने का। क्योंकि उनमें अथाह ज्ञान का भण्डार है। हमारे मनीषियों ने सरल कहानियों के माध्यम से इस ब्रह्माण्ड के सत्य और जीवन दर्शन का व्याख्यान किया है उन पुस्तकों में ।
भारत में कई दार्शनिकों और विद्वानों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने दर्शन से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनादि शिव, भगवान कृष्ण, ऋषि पतंजलि, ऋषि गौतम, कपिल मुनि, ऋषि शंकराचार्य, गौतम बुद्ध, महावीर जैन और स्वामी विवेकानंद उनमें से कुछ ही हैं। इन विद्वानों ने कई तरह के दर्शनशास्त्रों को प्रतिपादित किया। आज के युग में हमें आवश्यकता है उस दर्शन को अपने जीवन का एक अंग बनाने की । इसी दिशा में एक प्रयास है यह पुस्तक ।
सौरभ मिश्र का का जन्म १२ जून १९८९ को हरियाणा के फरीदाबाद शहर में हुआ । इनके पिता पंडित ओमजी मिश्र जी एक लेखक और शिक्षक हैं । पेशे से अंग्रेजी के लेखक एवं सम्पादक, सौरभ मिश्र ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर तथा शिक्षा में स्नातक (बी.एड) की उपाधि ग्रहण की है। सौरभ मिश्र ने विभिन्न विषयों पर कहानियां, नाटक, पटकथा, लेख और कविताएं लिखी हैं । इनके रचनाओं की प्रमुख विशेषता यह है कि वे जीवन के कई पहलुओं को छूती हैं तथा साथ ही प्राचीन भारतीय दर्शन से ओत-प्रोत होती हैं ।
इनके द्वारा रचित कई नाटकों का मंचन किया जा चुका है। जिनमें प्रमुख हैं: निहारिका, मनहूस, अर्धनारीश्वर। इन्होने हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में रचनाएं की हैं । इनकी अंग्रेजी कविताओं के संकलन का नाम "ऑफबीट ओडस" तथा हिंदी काव्य संकलन का नाम "एहसास काव्य कोष" है ।