Hindi

एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है
By Shubham Tiwari in Poetry | Reads: 422 | Likes: 1
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है  चलो अब लडने का वक्त आ गया है    ऊब सा गया हूँ चुपचाप बैठकर  कुछ कर गुजरने का वक्  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:16 PM
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है
By Shubham Tiwari in Poetry | Reads: 294 | Likes: 1
एक साथ खड़े होने का वक्त आ गया है  चलो अब लडने का वक्त आ गया है    ऊब सा गया हूँ चुपचाप बैठकर  कुछ कर गुजरने का वक्  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:17 PM
मैं और तुम
By Teesha Rathore in Poetry | Reads: 296 | Likes: 2
मेरे दिल के अरमानों में तुम अपनी खुशी के फसाने ढूंढ लेना मैं बेलेहजे में मुस्कुराऊं तो तुम मुझे अपनी आबरू का चोला उ  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:18 PM
क्या वाकई रुक सकती थी भगत सिंह की फांसी
By mukeshkumarairwal@gmail.com in Mystery | Reads: 427 | Likes: 0
असेंबली बम कांड में गिरफ्तारी देने के बाद 6 जून 1929 को भगत सिंह ने अदालत में एक लंबा बयान दिया था उन्होंने कहा था असेंब  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:21 PM
je tu mainu mil jaave
By Shalvi Singh in Poetry | Reads: 260 | Likes: 0
main hova subah, tu bana suraj, meri ankhan neendra din dhal jaave, Qismat de hath te fisal yaara, kive tainu samjhaave, je tu mainu mil jaave... haye mainu kinni sang aave.....  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:21 PM
तेरी कमी में मेरी ज़िंदगी ✨
By Teesha Rathore in Poetry | Reads: 440 | Likes: 0
रंग ही तो था तेरे चेहरे पर  उतर भी गया तो क्या ? तेरी नकाब पोशी का चेहरा  खुल भी गया तो क्या ? तेरी झूठी आबरू का चोला&  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:22 PM
मेरे फरिश्तों की यादें❤️
By Teesha Rathore in Poetry | Reads: 417 | Likes: 0
वो भी क्या दिन थे जब सर्दियोँ के साथ बाबा की डाँट आती थी स्वेअतर और टोपी पहन लो  वो भी क्या दिन थे जब दादी बाबा स छुप   Read More...
Published on Mar 23,2020 04:24 PM
देश हित
By TarunTyagi in Poetry | Reads: 701 | Likes: 0
मुसीबत की इस घड़ी में सभी देहवासिओं से अनुरोध है कि घर रहकर ही इस महामारी को जड़ से खत्म करने में अपना सहयोग प्रदान कर  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:44 PM
निश्चिन्तता
By SURENDRA ARORA in General Literary | Reads: 409 | Likes: 0
लघुकथा    निश्चिन्तता    " आजकल  धरती में  पानी कम तो है ही  खारा भी बहुत है । " " इसीलिये  बोरिंग की गहराई बढ़  Read More...
Published on Mar 23,2020 04:51 PM
अँधेरों से डर अब भी लगता है...
By Writer's Hub in Poetry | Reads: 5,379 | Likes: 5
अकेला ना करना मुझे कभी... अँधेरों से डर अब भी लगता है... दुनिया है बड़ी मुश्किल... पर ये दिल अब सिर्फ तेरे संग ही चलता है...   Read More...
Published on Mar 23,2020 05:22 PM
हिन्दू मुस्लिम की प्रेम कहानी
By Writers Platform in Poetry | Reads: 305 | Likes: 1
हमारे आसमां में भी यहां तक की धर्म की दीवार है मैं हिन्दू हूं , तू मुस्लिम है ये दुनिया ने बांट रखी है अगर सब इंसान हो  Read More...
Published on Mar 23,2020 06:00 PM
फिर से
By Amar 'Hindustani' in Poetry | Reads: 329 | Likes: 1
इक दूजे को यादों में बुलाएं फिर से आओ चलो हम मिल जाएं फिर से तुम जो रूठे ज़माना रूठ सा गया है ग़र‌ मानो तुम तो हम मना  Read More...
Published on Mar 24,2020 10:35 AM
ग़ज़लों से नज़्म का सफर..
By Uvais Girach A. in Poetry | Reads: 285 | Likes: 1
1) Ghazal : जंगल.. सेहरा, मट्टी,  दरिया, जंगल.. इनमें ‌ सबसे   गेहरा  जंगल.. दिल में हां, एक सेहरा ही था, मेरी  आंखों  मे  Read More...
Published on Mar 23,2020 06:43 PM
संघर्ष पथ
By Anjaney Rai in Poetry | Reads: 251 | Likes: 1
 संघर्ष के इश पथ पर | सब बैठ गए तू बढ़ चल ||  आंधियां है इस पथ पर | सब झुक गए तू उठ चल || अंधियारे है ईन रातो मे | सब जुगनू ब  Read More...
Published on Mar 23,2020 06:57 PM
बेबसी
By Iqbal Ahmad in General Literary | Reads: 895 | Likes: 2
बेबसी  क्या है ? क्या लज़ीज़ खाने  की ख़्वाहिश होने पर सिर्फ़ दाल रोटी का मुहय्या हो पाना बेबसी है ? या फिर एक बड़ा अफ़सर   Read More...
Published on Mar 23,2020 09:37 PM