भूत महासभा

ulfat_rana
सुपरनैचुरल
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"... दो घूंट पिला दे साकियां…"

घंटे भर से जिस शादी के बैंड ने श्मशान घाट के वीराने की बैंड बजा रखी थी, वो अब हर उस दुखद गाने को बीट दे रहा था जो मनहूस अवसरों पर भी अटपटे सुनाई पड़ें।

रात का तीसरा पहर लगने ही वाला था कि कि श्मशान की इकलौती बेरी पर फड़फड़ाता हुआ एक उल्लू आ बैठा, चूहों की तलाश में उसने आंखे चारों ओर चमकाई और फिर ऐसे शांत बैठ गया जैसे बारात का बैंड सुनने ही आया हो। थोड़ी देर भद्दे संगीत का आनंद लेने के बाद उसने हला कर श्मशान से लगती खण्डहर छतरियों की ओर ताका ; न कोई हलचल हुई, न ही उसकी आवाज़ की गूँज लौटी। उल्लू अपना सीना तान कर फिर "हूऽऽऽ" करने ही लगा था कि बारात बिल्कुल श्मशान के सामने आ पहुंची…

" ढोल वज दा, पूंगी वज दी…" के साथ-साथ अब पटाखे भी बजने लगे।

उल्लू ने फिर से खंडहरों की दिशा में देखा तो उसे हलचल दिखाई दी, उसके चेहरे से हताशा उड़ गई, चूहे बिलों से निकल कर तितर-बितर भागे, उल्लू भी फुर्र अपने शिकार के पीछे उड़ गया। ओनों-कोनों में छाये झीने कोहरे से कुछ आभासी आकृतियाँ उभरने लगी। जैसे-जैसे इन आकृतियों की संख्या बढ़ने लगी, वैसे-वैसे हड़बड़ाती शालीनता के साथ ये आकृतियाँ सबसे बड़ी और पुरानी छतरी के नीचे इकठ्ठा हुई, भूतों की महासभा सत्र में है।

"साथियों!"

आम तौर पर सिहरन पैदा करने वाली महासचिव महोदया की पैनी आवाज़ बैंड के शोर में दब गई।

"आज मेरे यार की शादी है…"

"स्वागत है आप सब का, "

"लगता है जैसे सारे संसार की शादी है…"

"आज की सभा शुरू करने में काफ़ी देरी हो गई," महासचिव महोदया ने खीजते हुए कहा, आम भूत शायद बारात के आगे हार मान लेता. पर हार मानने वाले भूत सबसे युवा महासचिव नहीं बनते, "इन ज़िंदा इंसानो को हम भूतों की कोई परवाह ही नहीं।" भूतों ने ताली पीट कर हुंकार भरी, बारात ने रॉकेट छोड़ा।

" ज़माना था, इंसान भूतों से डरते थे, हमारे नाम से कांपते थे, रात-बेरात घुमायी नहीं करते थे। अंधेरा हमारा साम्राज्य था, आप ही बताएं, उस समय श्मशान के सामने ब्याह-बारात निकालने की हिम्मत कोई कर सकता था भला?"

महासचिव की बातों को सुन कर जोश आया, रोष भरे नारे और गालियां भी दी, सब गुज़रती बारात के पटाखों के नीचे दब गईं। अनार और रॉकेट की चमक के आगे तो डरावनी भूतहा आभा भी फीकी पड़ रही थी।

हर कुशल राजनेत्री की भांति महासचिव महोदया ने खुद ही की भड़काई चिंगारी को हवा दी और सभा सदस्यों के सामने 'जीवित मनुष्यों से होने वाली समस्याएं और उनके उपाय' पर आपातकालीन चर्चा का प्रस्ताव रखा। उनके समर्थकों ने हामी भरी, बाकी भूतों ने भी मनमारू सहमति जतायी।

"नायक नहीं खलनायक हूँ मैं…" गाता हुआ बैंड अब दूर जा चुका था, श्मशान भूतों की भयानक चीख़ों से गूँज उठा।

"एक, एक कर बोलिए! सभा के सलीकों का मान रखिए।" अभी तक शांत बैठे आदरणीय सभापति महोदय की आवाज गर्जी। भूतों में सन्नाटे की लहर दौड़ गई।

"अगर हम खुद सभ्य नहीं हो सकते तो क्या ख़ाक जिंदा सभ्यता में नुक्ताचीनी के लायक होंगे।" उन्होंने तल्ख़ लहजे से महासचिव महोदया को घूरा। सभापति महोदय के आगे तो पत्थर भी सिहर जाये, मात्र ३० वर्ष की मरणोपरांत उम्र रखने वाली महासचिव क्या चीज़ थी।

भूतों का आक्रोश कुछ शांत हुआ तो अखनातेन जी की कंपकंपाती आवाज उठी,"देखो बच्चों, मरणोपरांत उम्र में मैं सबसे बुजुर्ग हूँ, सदियों का अनुभव है मुझे -"

एक-दो युवा भूतों ने चिढ़ कर उबासी ली, करीब आती एक और बारात ने सभा में खलल डाला, अखनातेन जी की गुस्से भरी बड़बड़ "हट ज्या ताउ पाछे नै…" की धुन में एक हो गयी।

"भाइयों और बहनों!" प्रियंका देवी ने झट मोर्चा मारा और दक्षता से बात मुद्दे पर वापस लायी। सब जानते थे कि अखनातेन जी बोलने के बाद रुकते नहीं और काम का कुछ बोलते नहीं, अंग्रेजों को भी मिस्र की सबसे उबाऊ ममी ही मिली थी यहां के संग्रहालय में रखने को, हज़ारों वर्षों बाद कोई भी भूत मोक्ष की प्राप्ति कर लेगा पर अखनातेन जी को तो दुनिया में रह कर शिकायत करने का शौक़ था। प्रियंका देवी नहीं चाहती थी कि बुजुर्ग ममी के कारण उनकी जीवन भर की प्रेरणास्रोत महासचिव महोदया की राजनीति बिगड़ जाये।

"भाइयों बहनों, हम मुद्दे से भटक रहे हैं। बात जनरल पब्लिक की दिक्कतों की हो रही है न कि ख़ास किसी केस की !"

अखनातेन जी को शांत होते देख भूतों ने राहत की साँस ली और मुद्दे में फिर दिलचस्पी दिखाई। आसपास कोहरा गहराया, या शायद वो बारात के पटाखों का धुआं था। प्रियंका देवी ढोल की ढम-ढम के ऊपर चिल्लायी-" हिम्मत कैसे हुई इन जिंदा आदमियों की? श्मशान के सामने आ कर खुशी जताते हैं, अक्ल नहीं है? शाप लगेगा!"

"अरे, एट लीस्ट आप लोग का चारनेल ग्राउंड एम्पटी तो रहता है सिर्फ बाहर सोंगस बजता है। हमारा आॅल्ड ग्रेवयार्ड में तो आजकल का बच्चा लोग पहुँच जाता है, कभी" मेक आउट" करने तो कभी "फोटो शूट" करने, कोई रिस्पेक्ट ही नहीं है। लैंग्वेज भी काफी होस्टाइल है- "आउट", "शूट" च्च च्च च्च! हमारा रेस्ट इन पीस एस्थेटिक्स लगता है।" मेमसाहब ने अपनी समस्या को सबसे बड़ा बताया। आखिर अगर किसी को भी नखरे करने का हक है तो उन्हें है। कमसिन उम्र में ही देहांत हो गया, कब्र पर फूल रखने वाले सब स्कॉटलैंड लौट गए, ऊपर से ३७० सालों में भी हिन्दुस्तानी भाषा ठीक से पल्ले नहीं पड़ी।

" जनाब हमारे मकबरों और मजारों का भी यही हाल है। लोग गाते-बजाते हैं, फ़िल्म बनाते-"

"सात समंदर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई…"

"पर सच कहूं तो हम बात का बतंगड़ बना रहे हैं। मेरा मानना -"

"ज़ुल्मी मेरी जाँ तेरे क़दमों के नीचे आ गयी…"

सूफ़ी साहब जिंदा इंसानों के हित में बात करके मुद्दा ख़त्म करना चाहते थे पर नए जोश के साथ बजते हुए बैंड ने काम थोड़ा मुश्किल कर दिया था।

" देखिए जिंदा हैं तो बेखौफ ज़िन्दगी वाले काम करेंगे, हमने भी किए थे, यही जीवन का अध्यात्म है, इसका हम कर ही क्या सकते हैं।"

बात पते की थी, कई भूतों ने सिर हिलाया। बैंड के स्पीकर ने "चर्रऽऽऽ" की ध्वनि करके दम तोड़ दिया। भूतों का गुस्सा ठंडा हो रहा था।

"आप रहने दीजिए सूफ़ी साहब! " मेमसाहब ने आखिरी कोशिश की,"आपका कल्चर अलग है, आप नहीं समझेंगे। आई से ईट ईज टाईम वी टेक आवर घोस्टली रिवेंज ओन द लिविंग!"

मेमसाहब की रणहुंकार का अखनातेन जी के अलावा किसी भी भूत ने जवाब न दिया। जनता का जोश ठंडा होते देख महासचिव महोदया भी परे हट लीं। वे जानती थी कि आजकल के भूत बातों-बातों में माहिर हैं, जो जीवन भर खुद कभी भूतों से नहीं डरे वो मरणोपरांत किसी को क्या डरायेंगे। ऐसे निकम्मे भूतों को "कॉल फॉर एक्शन" दे कर वे अपने वोट नहीं खोना चाहती हैं।

भूतों में एक बार फिर शांति देख कर सभापति महोदय खुश हुए, "देखिए साथियों, हम चाहे कुछ करें, न करें, आज जो जिंदा हैं उन्हें रेस्ट इन पीस और आत्मा की शांति ना मिलने का कष्ट तभी समझ आएगा जब वो ख़ुद भूत बनेंगे।हमारी अपनी मोक्ष प्राप्ति में अभी बहुत समय है, ये समय हमें अहम भूतिया मुद्दों पर लगाना चाहिए। अगर आप सब की चुगली-चर्चा, नुक्ताचीनी खत्म हो गई हो तो महासभा शुरू करते हैं। " उन्होंने महासचिव महोदया को इशारा किया। दूर कहीं पटाखे बजे, ख़राब हुआ स्पीकर अभी भी "चर्रऽऽऽ" की धीमी ध्वनि दे रहा था।

" ज़रूरी सूचना!" महासचिव महोदया की तीखी आवाज गूँजी, "युवा भूतों में मेल मिलाप और सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए आगामी पूर्णमासी से होने वाली अन्तरपिशाचिय क्रिकेट चैंपियनशिप के लिए सम्भावित अंडर २१(मरणोपरांत उम्र) भूतों की सूची जारी की जा रही है। कल मध्यरात्रि से ट्रेनिंग शुरू होगी। सभी संभावित खिलाड़ी अपने-अपने मृत्यु प्रमाणपत्र साथ में लाएं।

सम्भावित खिलाड़ी हैं… "

"चर्रऽऽऽ दिल धड़काये, सीटी बजाये चर्रऽऽऽऽऽऽऽ

हो लड़की.. आं चर्रऽऽऽऽऽऽऽ आँख मारे…"

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