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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curry
din yad an
जब मैंने उससे पूछा कि --- '' यह मोटरसाइकिल किसकी है ? क्या तूने खरीदी है ? '' तो उसने कहा --- ''नहीं , यह मेरे एक मित्र की गाड़ी है और उसने बरसात के चलते मेरे यहाँ रख छोड़ी है । '' म
din yad an
जब मैंने उससे पूछा कि --- '' यह मोटरसाइकिल किसकी है ? क्या तूने खरीदी है ? '' तो उसने कहा --- ''नहीं , यह मेरे एक मित्र की गाड़ी है और उसने बरसात के चलते मेरे यहाँ रख छोड़ी है । '' मैंने यह बात मान भी लिया था पर मेरे जीजाजी द्वारा मुझे पता चला कि उसने उनसे मोटरसाइकिल खरीदने के लिए पैसे उधार मांगे थे तो मेरे मन में बवंडर -सा उठा कि --- '' काश , वह झूठ न बोला होता और उसने झूठ क्यों बोला ? '' मुझे चलचित्र की भांति पुराने दिन याद आने लगे और मैं अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगा ।
----- इसी पुस्तक से
----- इसी पुस्तक से
हाँ, हाँ , मैं मर चुका हूँ । मैं सबके लिए एक लाश के सिवा कुछ भी नहीं । मेरी अर्थी जीते-जी निकाल दी गई । मेरे अरमानों की अर्थी , मेरे ख्वाबों की अर्थी --- । आज मेरी लाश पर रोने आए हैं आपलोग
हाँ, हाँ , मैं मर चुका हूँ । मैं सबके लिए एक लाश के सिवा कुछ भी नहीं । मेरी अर्थी जीते-जी निकाल दी गई । मेरे अरमानों की अर्थी , मेरे ख्वाबों की अर्थी --- । आज मेरी लाश पर रोने आए हैं आपलोग । नहीं--- नहीं । मेरी लाश पर कोई रो नहीं सकता । मेरी हत्या करने में आप सभी का हाथ है । सबने मेरी भावनाओं के साथ खेला है --- मेरी भावनाओं का गला घोंटा है । नहीं बेटे, नहीं । ''ऐसा मत कहो , कभी-कभी बेटे को भी बाप को माफ कर देना चाहिए ।'' कहते हुए रमन किशोर सौरभ के पाँव में झुकते चले गए । । एक ऐसे इंसान की कहानी जिनकी भावनाओं का गाला उनके अफ्नो ने हीं घोंट डाला । वह जो उनके लिए ही जी रहा था , पर, वे उसे गलत समझ रहे थे । आखिर क्यो ? जानने के लिए पढे --- उपन्यास --- मृत्यु
फिर राघवदास ने घबराए मुद्रा में कहा - ''आ आपलोग बोलते क्यों नहीं ? बोलिए, मुंह खोलिए -- आखिर आपलोग बोल क्यों नहीं रहे ? आपलोग इतने उदास क्यों हैं ? सहायजी ने मौन तोड़ा -- ''गीता नहीं है ।'' ''ग
फिर राघवदास ने घबराए मुद्रा में कहा - ''आ आपलोग बोलते क्यों नहीं ? बोलिए, मुंह खोलिए -- आखिर आपलोग बोल क्यों नहीं रहे ? आपलोग इतने उदास क्यों हैं ? सहायजी ने मौन तोड़ा -- ''गीता नहीं है ।'' ''गीता नहीं है ?''---- क्या मतलब ? यह गीता कौन है ? थोड़ी देर सोचने के बाद कहा --- ''आ हा हाँ, तो मेरी प्यारी गुड़िया का नाम गीता है ? तो कहाँ है गीता ? लगता है अपने दोस्तों के साथ खेलने गई है --- पर, इसमें चिंता की क्या बात है ? --- आ जाएगी । इसी के लिए चिंतित होने लगे ?---- बड़ी प्यारी एवं दुलारी है न आपलोगों की वह, ---- इसीलिए चिंता लाजिमी है --- अफसोस तो मुझे भी है कि मैं उससे मिल नहीं सका -- पर क्या करूँ ? कोई बात नहीं, मैं फिर आ जाऊँगा । सहायजी का मन किया कह दे ---- ''फिर आने की कोई जरूरत नहीं, फिर भी उन्होने कुछ कहा नहीं । (इसी उपन्यास से)
यह पुस्तक कवि द्वारा रचित इक्यावन कविताओं का संग्रह है।कवि ने विविध विषय बिंदुओ को अपनी पुस्तक में सम्माहित किया है।इस पुस्तक में प्रकृति,बाल, तत्कालीन परिस्थितियों का समावेशन
यह पुस्तक कवि द्वारा रचित इक्यावन कविताओं का संग्रह है।कवि ने विविध विषय बिंदुओ को अपनी पुस्तक में सम्माहित किया है।इस पुस्तक में प्रकृति,बाल, तत्कालीन परिस्थितियों का समावेशन हुआ है।प्रत्येक कविता की अंतिम पंक्तियाँ एक संदेश देती है।
मृत्यु उस सय का नाम है जिससे प्रत्येक व्यक्ति भयभीत होता है । मृत्यु हमें आस्तिक बनाती है । मृत्यु एक दुर्लभ वस्तु है । मृत्यु में आपको इतिहास-पुरुष बना जाने की कला है ।
मृत्यु उस सय का नाम है जिससे प्रत्येक व्यक्ति भयभीत होता है । मृत्यु हमें आस्तिक बनाती है । मृत्यु एक दुर्लभ वस्तु है । मृत्यु में आपको इतिहास-पुरुष बना जाने की कला है । मृत्यु अवश्यंभावी है । मृत्यु मिलापक होती है । मृत्यु को भूलना नहीं चाहिए । मृत्यु अभिशाप नहीं, वरदान है । मृत्यु का भी उद्देश्य होना चाहिए । जीवन और मृत्यु एक दूसरे के पूरक हैं । जीवन-धारा बदलें, मृत्यु हमेशा याद रहेगी । मृत्यु पूर्वकालिक घोषणा नहीं करें ।
अरे , तुम कहाँ चले ? प्रेम-पथ पर चलो । Read More...
Love is enough , Rather than more things , Love is enough , Better than more things . If you have plenty of worth , If you have taken crowned birth , But if you havn't love , Its l Read More...
साजन आज तुम आन मिलो , मौसम ब Read More...
साजन आज तुम आन मिलो , मौसम ब Read More...
Love never ends , But ever bends ; Read More...
चमचमाती मर्सिडीज कार के ड्राइविंग सीट से अपने पापा को उतरते देख रोहण दौड़ता हुआ कार के समीप आया । उसे अपनी मम्मी का इ Read More...
सुनीता की शादी के अभी सिर्फ तीन वर्ष हीं बीते थे कि एक दिन उसके पति को साँप ने डंस लिया और देखते ही देखते उसकी संसार स Read More...
मैं आज भी जब उस पल को याद करता हूँ मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं । उस समय मैं कॉलेज में पढ़ता था । पिताजी ने मुझे ठीक से पढ़ Read More...
सम्भावना है हम पार कर जाएंगे, हर एक मुश्किल की थाह कर जाएंगे ; गर अपनाएं हम एहतियात मुश्किलों से लडने की , हर जंग हम जी Read More...
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