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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalAchievements
अपने दैनिक जीवन में अक्सर ऐसे अवसर आते हैं जब कोई घटना कोई दृष्टांत कोई व्यक्तित्व और कृतित्व मन में एक गहरी छाप छोड़ जाता है । इसके लिए ह्रदय की संवेदना और अनुभूति की खिड़की खोल
अपने दैनिक जीवन में अक्सर ऐसे अवसर आते हैं जब कोई घटना कोई दृष्टांत कोई व्यक्तित्व और कृतित्व मन में एक गहरी छाप छोड़ जाता है । इसके लिए ह्रदय की संवेदना और अनुभूति की खिड़की खोल कर रखनी होती है । इस खिड़की के प्रकाश को शब्द शिल्प में ढाल कर संस्मरण का आयाम देकर अपनों से साझा करने के क्रम में "संस्मरण सृजन" मेरा सातवां प्रकाशित संकलन प्रबुद्ध पाठकों को समर्पित है ।
अशोक श्रीवास्तवAPANE
देश समाज और संप्रदाय में वर्तमान परिपेक्ष्य के कुछ ज्वलंत मुद्दों पर संक्षिप्त सारगर्भित अभिव्यक्ति का लेखक का चौथा संस्मरण पाठकों को समर्पित है ।
देश समाज और संप्रदाय में वर्तमान परिपेक्ष्य के कुछ ज्वलंत मुद्दों पर संक्षिप्त सारगर्भित अभिव्यक्ति का लेखक का चौथा संस्मरण पाठकों को समर्पित है ।
सेवा निवृत्ति के बाद अपनी दैनिक अनुभूतियों को निर्बाध कलम बद्ध कर संस्मरण के संकलन के परिवेश में सहेजना इससे अच्छा उम्र की इस परिपक्व वय का कोई सदुपयोग नही हो सकता है । इसे ही सा
सेवा निवृत्ति के बाद अपनी दैनिक अनुभूतियों को निर्बाध कलम बद्ध कर संस्मरण के संकलन के परिवेश में सहेजना इससे अच्छा उम्र की इस परिपक्व वय का कोई सदुपयोग नही हो सकता है । इसे ही सार्थक करते हुए यह पांचवां संस्मरण संकलन पाठकों को समर्पित है । आशा है सुधि पाठकों का यथावत स्नेह इसे भी प्राप्त होवेगा । जैसे स्नेह पूर्व प्रकाशित अहसास बने अल्फाज,सनातन संस्कार संस्कृति,सनातन प्रार्थना संग्रह एवम अहसास स्पंदन को प्राप्त हुआ है । जो नोशन पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित हुए हैं ।
अशोक श्रीवास्तव
अहसास बने अल्फ़ाज़ (संस्मरण), सनातन संस्कार संस्कृति एवम सनातन प्रार्थना सँग्रह (संकलन)के बाद ये चौथा मिश्रित संकलन जिसमें कुछ कथानक चरित्रों कुछ समसामयिक दृष्टांतों को रचना
अहसास बने अल्फ़ाज़ (संस्मरण), सनातन संस्कार संस्कृति एवम सनातन प्रार्थना सँग्रह (संकलन)के बाद ये चौथा मिश्रित संकलन जिसमें कुछ कथानक चरित्रों कुछ समसामयिक दृष्टांतों को रचनाओं का आधार बनाया गया है । अब यह सुधि पाठकों के लिए प्रस्तुत है । आशा एवम विश्वास है कि यह प्रयास भी पाठकों को रुचिकर लगेगा ।
अशोक श्रीवास्तव
जीवन की गहन प्रतिकूल परिस्थतियों में ईश्वर की प्रार्थना एक सशक्त संबल आशा और विश्वास का एक माध्यम होती है . परिस्तिथतियों एवं परिवेश के अनुरूप हर व्यक्ति विशेष अपने अपने इष्ट क
जीवन की गहन प्रतिकूल परिस्थतियों में ईश्वर की प्रार्थना एक सशक्त संबल आशा और विश्वास का एक माध्यम होती है . परिस्तिथतियों एवं परिवेश के अनुरूप हर व्यक्ति विशेष अपने अपने इष्ट की पूजा अर्चना एवं साधना करता है . वस्तुतः सभी इष्ट एक निराकार स्वरूप के अलग अलग नाम और माया हैं . इसमें कोई शक नहीं है अंततः आस्था एवं विश्वास ही चमत्कार के रूप में फलीभूत होता है . यह संकलन सनातन इष्ट देवी देवताओं की शास्त्रों में वर्णित प्रार्थनाओं श्लोकों का भावार्थ सहित संकलन है . जो आस्थावान भाविकजनों को निश्चित तौर पर रुचिकर होगा . उनके उपासना स्थल में अपना उपयुक्त स्थान बनावेगा .
जीवन के दिनोंदिन के अहसास जब अल्फ़ाज़ बनकर गुजरें दिनों की जिंदगी बखान करते हैं । और कभी कभी आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक वसीयत बन जाते हैं । इसी क्रम का एक प्रयास है "अहसास बन
जीवन के दिनोंदिन के अहसास जब अल्फ़ाज़ बनकर गुजरें दिनों की जिंदगी बखान करते हैं । और कभी कभी आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक वसीयत बन जाते हैं । इसी क्रम का एक प्रयास है "अहसास बने अल्फ़ाज़" अशोक श्रीवास्तव
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