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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
इस कहानी को मैंने मेरे एक बुजुर्ग दोस्त से सुना था, जो मुझे अक्सर मंदिर में मिला करते थे। उन्होंने इससे मिलते-जुलते माहौल में अपने कुछेक साल बिताए थे। जयपुर की गलियों में गूंजती
इस कहानी को मैंने मेरे एक बुजुर्ग दोस्त से सुना था, जो मुझे अक्सर मंदिर में मिला करते थे। उन्होंने इससे मिलते-जुलते माहौल में अपने कुछेक साल बिताए थे। जयपुर की गलियों में गूंजती यह गाथा है जिसमें कुछ यथार्थ भी छिपा हुआ है। एक छपकी नाम की औरत जिसका कई बार वस्त्र हरण, मन हरण और मति हरण हुआ था। अनदेखे दुश्मन जो हर बार उसकी आँखों से बचे रह जाते। काले समाज में उतरने के बाद भी उसकी पवित्रता में कोई गिरावट नही आयी थी। एक सिपाही की वह विधवा थी, गांव के नकारने के बाद शहरों को चली आयी थी। गांव और शहर के चित्रण में मैंने कोई कसर नही छोड़ी। पात्रों की हरकतें और उनकी बोलचाल की भाषा गांव को दर्शाती है लेकिन वे रहते शहर में है।
हास्य-व्यंग्यो से सुसज्जित यह एक बड़ी रचना है। उपन्यास को लिखते समय कई बार ध्यान भटक जाता है, कई बार पात्र दूसरे याद आने लगते है। लेकिन जो भी हो सारा कारवाँ चलता जाता है और बस चलता जाता है। उपन्यास एक बड़ी लंबी दूरी होती है, होती कहानी ही है लेकिन लंबी दूरी। इतनी कि कई बार कहना कुछ चाहते है और लिख कुछ देते है। यद्यपि अर्थ एकसमान निकलकर आता है, उसके परिणाम भी एक से होते है। कहानी के कुछ शुरुआती पन्ने तो छपकी को समझने में लग जाते है, जिसके कुछेक पन्नों के बाद देव महर्षि नाम का अघोर बैरागी सामने आता है। एक साधु की तरह छपकी से मिलता भी है और उसकी सारी समस्याएं समझ भी जाता है।
This book is dedicated to my world, to my universe and to my multiverse, she is literally that dream which I never dreamt of living, she is that reality, which can calm stormy waters just by a pinch of her smile, she is that familiarity of childhood which has thousands of tales. Whenever I see her smiling my whole gets a rest, whenever I see her laughing life seems to have purpose in its distress, whenever I see her, my soul starts praying and thanking, cause
This book is dedicated to my world, to my universe and to my multiverse, she is literally that dream which I never dreamt of living, she is that reality, which can calm stormy waters just by a pinch of her smile, she is that familiarity of childhood which has thousands of tales. Whenever I see her smiling my whole gets a rest, whenever I see her laughing life seems to have purpose in its distress, whenever I see her, my soul starts praying and thanking, cause it’s the best work God has done in his lab.
My intention in writing this book was just that I could explain all these things. As far as the book goes, it makes its way to study, then its path gets expanded. They talk about mountains, rivers and history. While talking about dealing with the dilemmas of life, this book contains all the essays and knowledge without which life is probably incomplete. There is no big collection, it is as much as it should be. Let me write and win it somewhere. Hu
My intention in writing this book was just that I could explain all these things. As far as the book goes, it makes its way to study, then its path gets expanded. They talk about mountains, rivers and history. While talking about dealing with the dilemmas of life, this book contains all the essays and knowledge without which life is probably incomplete. There is no big collection, it is as much as it should be. Let me write and win it somewhere. Humsafar is many, but there is no harmony from the book. Especially when it comes to the study book, you will not understand …… because completely If there is a book full of study, then the readership will be reduced automatically. That is why there are some interesting things in this book, there are some historical stories that are capable of creeping. Learning, speculating and living the present of life. If there is skill, then there is passion and enthusiasm to fight it. What is essay? Is it the poignancy or enthusiasm of one person or the lifestyle of a group. It is an article which is not written in the form of a story and should not have the ability to read.
जब आप इस उपन्यास को पढ़ना आरंभ करेंगे तो इसके शुरुआती बोल-चाल और आसपास के चरित्रों को देख लेने के बाद आपको इस उपन्यास के शहरी होने का पूरा विश्वास हो जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे आप इस कथ
जब आप इस उपन्यास को पढ़ना आरंभ करेंगे तो इसके शुरुआती बोल-चाल और आसपास के चरित्रों को देख लेने के बाद आपको इस उपन्यास के शहरी होने का पूरा विश्वास हो जाएगा। लेकिन जैसे-जैसे आप इस कथा-सागर में अपनी तैराकी को रफ्तार देंगे, वैसे-वैसे इस कथा में गांव का होना अपने आप दिखाई देने लगेगा। इसमें अग्निमित्र मुख्य पात्र है जो आपको पूरी कहानी में दिये के समान दिखेगा। आप इस उपन्यास को खुद का जीवन मानकर पढ़ेंगे तो मुझे लगता है आप इस किताब का आखिरी पृष्ठ पाँच से दस बार पढ़ेंगे।
अब आप कहोगे की आखिरी पृष्ठ में ऐसा क्या है और वो तो आखिरी पृष्ठ है। परंतु मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जब आप इस कहानी को पूरा पढ़ते चले जाओगे तो एक पृष्ठ आखिरी वाला भी आएगा और जिसके ख़त्म होते ही आपको अहसास भी नही होगा कि कहानी खत्म भी हो गयी है क्या ?
मेरी ये कविताएँ एक निश्चितता रखती है, जो कि व्यंग्य है। विसंगतियों से व्यंग्य निकलता है, व्यंग्य का अर्थ कभी किसी की निंदा या आलोचना करना नही होता है। ये तो एक चिकित्सक की तरह मरह
मेरी ये कविताएँ एक निश्चितता रखती है, जो कि व्यंग्य है। विसंगतियों से व्यंग्य निकलता है, व्यंग्य का अर्थ कभी किसी की निंदा या आलोचना करना नही होता है। ये तो एक चिकित्सक की तरह मरहम लगाने का काम करता है। इन पूरी कविताओं में व्यंग्य शामिल नही है, पर कई कविताएँ है जो हास्य-व्यंग्य पर आधारित है। कविताओं का शीर्षक भी अपना एक महत्व रखता है जो यह बताता है कि कविता का विषय क्या है, व्यंग्य में तो शीर्षक खास तौर पर जरूरी है। हास्य व्यंग्य का किसी से सरोकार नही होता है, ये सामाजिक गतिविधियों को देखकर अपने आप प्रकट हो उठता है। मुझे इस बात का पूर्ण विश्वास है ये व्यंग्य आपको जरूर उत्साह देंगे।
इन कविताओं में एक दर्द भी है जो इस किताब के गीतों में दिखाई देता है और इसके गीत इतने मधुर है जिनको केवल अपने कंठ मुख को तर्पण करने के लिए गाया जाता है | व्यंग्य तो कुछ भाग तक ही सिमित है तो भी इस पुस्तक का शीर्षक “ व्यंग्य ने किया तंग “ है | व्यंग्य के अपने कलात्मक भाव होते है जो कभी किसी दुखी व्यक्ति पर प्रकट नहीं होते ना किसी को दुःख देने का कार्य करते है, ये तो बस अपनी छाप इस तरह छोड़ते है, कि इसके बाद होने वाले कार्य सही दिशा में विद्यमान हो जाते है | मेरी इन सारी कविताओं में वो रस है जिसको आप निसंकोच पी सकते हो, ये मेरा मानना है | व्यक्ति केवल अपने तक ही सिमित रहना चाहता है, पर इसको पढने पर व्यक्ति खुद तक सिमित नहीं रहेगा, वो और लोगो तक और उनके ह्रदय तक पहुँचेगा | ये असली सार्थकता है |
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