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Vyangya Ne Kiya Tang / व्यंग्य ने किया तंग

Author Name: Dharendra Ratandeep | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मेरी ये कविताएँ एक निश्चितता रखती है, जो कि व्यंग्य है। विसंगतियों से व्यंग्य निकलता है, व्यंग्य का अर्थ कभी किसी की निंदा या आलोचना करना नही होता है। ये तो एक चिकित्सक की तरह मरहम लगाने का काम करता है। इन पूरी कविताओं में व्यंग्य शामिल नही है, पर कई कविताएँ है जो हास्य-व्यंग्य पर आधारित है। कविताओं का शीर्षक भी अपना एक महत्व रखता है जो यह बताता है कि कविता का विषय क्या है, व्यंग्य में तो शीर्षक खास तौर पर जरूरी है। हास्य व्यंग्य का किसी से सरोकार नही होता है, ये सामाजिक गतिविधियों को देखकर अपने आप प्रकट हो उठता है। मुझे इस बात का पूर्ण विश्वास है ये व्यंग्य आपको जरूर उत्साह देंगे।

इन कविताओं में एक दर्द भी है जो इस किताब के गीतों में दिखाई देता है और इसके गीत इतने मधुर है जिनको केवल अपने कंठ मुख को तर्पण करने के लिए गाया जाता है | व्यंग्य तो कुछ भाग तक ही सिमित है तो भी इस पुस्तक का शीर्षक “ व्यंग्य ने किया तंग “ है | व्यंग्य के अपने कलात्मक भाव होते है जो कभी किसी दुखी व्यक्ति पर प्रकट नहीं होते ना किसी को दुःख देने का कार्य करते है, ये तो बस अपनी छाप इस तरह छोड़ते है, कि इसके बाद होने वाले कार्य सही दिशा में विद्यमान हो जाते है | मेरी इन सारी कविताओं में वो रस है जिसको आप निसंकोच पी सकते हो, ये मेरा मानना है | व्यक्ति केवल अपने तक ही सिमित रहना चाहता है, पर इसको पढने पर व्यक्ति खुद तक सिमित नहीं रहेगा, वो और लोगो तक और उनके ह्रदय तक पहुँचेगा | ये असली सार्थकता है |

 

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धरेन्द्र रतनदीप

मैं यानी धरेन्द्र रतनदीप, वाणिज्य स्नातक अंग्रेजी साहित्य का विद्यार्थी हूँ। राजस्थान जन्मभूमि है, जब कि कुछ हद तक कर्मभूमि भी है। मुझे कविताएँ लिखने का शौक यूँही नही है बल्कि ये मेरा धर्म हो जाता है। जैसे हर कोई अपना धर्म निभाता है, मेरी कविताएँ एक पहचान है जो पथ-प्रदर्शक व मनोरंजन संभाले हुए है, 

मेरी ये कविताएँ एक निश्चितता रखती है, जो कि व्यंग्य है। विसंगतियों से व्यंग्य निकलता है, व्यंग्य का अर्थ कभी किसी की निंदा या आलोचना करना नही होता है। ये तो एक चिकित्सक की तरह मरहम लगाने का काम करता है। इन पूरी कविताओं में व्यंग्य शामिल नही है, पर कई कविताएँ है जो हास्य-व्यंग्य पर आधारित है। कविताओं का शीर्षक भी अपना एक महत्व रखता है जो यह बताता है कि कविता का विषय क्या है, व्यंग्य में तो शीर्षक खास तौर पर जरूरी है। हास्य व्यंग्य का किसी से सरोकार नही होता है, ये सामाजिक गतिविधियों को देखकर अपने आप प्रकट हो उठता है। मुझे इस बात का पूर्ण विश्वास है ये व्यंग्य आपको जरूर उत्साह देंगे।

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