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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal32 Years Experience in Media (7 Years Electronic and 5 Years Digital Media)20+ years of experience managing an Editorial and Content Developers team More than 1800 articles/ Report published on Social Economic and Political issues Some Projects: 1. A series of 25+articles under BIG ISSUES2. Hosted many TV programmes on Budget and different Business Issues3. Produced Business Avenues 10 Episode (a serial for TV) to motivate youth and budding entrepreneurs to make them aware with different earning opportunities.4. Produced Film with Vision (a serial for TV) to motivate budding entrepreneurs bRead More...
32 Years Experience in Media (7 Years Electronic and 5 Years Digital Media)
20+ years of experience managing an Editorial and Content Developers team
More than 1800 articles/ Report published on Social Economic and Political issues
Some Projects:
1. A series of 25+articles under BIG ISSUES
2. Hosted many TV programmes on Budget and different Business Issues
3. Produced Business Avenues 10 Episode (a serial for TV) to motivate youth and budding entrepreneurs to make them aware with different earning opportunities.
4. Produced Film with Vision (a serial for TV) to motivate budding entrepreneurs by highlighting message given in some Indian and Foreign films.
5. Produced some highly appreciated TV programs in Hindi; like Ek Chitthi Gandhi Ki, Hamari Virasat, Muskan Mere Desh Ki, Aur Narendra bana Vivekanand, Vision India 2020 etc to motivate Indian youth and Society.
6. Participated in 500+ International Level Conferences in India and abroad
7. 10 Years Field Research of Small and Medium Businesses
8. Trained many Boys and Girls for Media & Finance Sector
एक अनुभवी लेखक, एडिटर, स्पीकर, ग्रोथ एडवाइजर और विज़नरी व्यक्ति की छवि रखने वाले हरीश चावला नॉलेज और इन्फॉर्मेशन को प्रोसेस करने, कंटेंट में वैल्यू जोड़ने, मीडिया स्ट्रेटेजी बनाने और नॉलेज डिस्ट्रीब्यूशन एक्टिविटीज़ के लिए आइडिया बनाने में विशेष योग्यता रखते हैं। उनके पास समाचार पत्र और मीडिया प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के साथ-साथ अलग-अलग मीडिया हाउस में हाई परफॉर्मिंग क्रॉस-फंक्शनल टीमों को लीड करने और मैनेज करने का तीन दशक से अधिक का विशाल अनुभव है। नॉलेज डिलीवरी एक्टिविटीज़ के ज़रिए समाज में वंचितों और छोटे बिज़नेस को मजबूत बनाना उनका जूनून है और वे METFET (मीडिया, शिक्षा, तकनीकी, वित्त, मनोरंजन, और पर्यटन) बेस्ड प्रोजेक्ट्स और एक्टिविटीज़ के ज़रिए समाज में नॉलेज डिवाइड को कम करने की दिशा में पिछले दो दशकों से काम कर रहे हैं।
आर्थिक पत्रकारिता के क्षेत्र में हरीश चावला की राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग छवि है। उन्होंने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में कार्य करते हुए, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में संपादन, कंटेंट राइटिंग और कंटेंट प्रोडक्शन के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। उन्होंने सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर 1,800 से अधिक लेख और रिपोर्ट लिखी हैं, जो विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने "एक चिट्ठी गांधी की", "हमारी विरासत", "मुस्कान मेरे देश की", "और... नरेंद्र बना विवेकानंद" और "विज़न इंडिया 2020" सहित कई प्रशंसित टीवी कार्यक्रमों का निर्माण किया।
उन्होंने विश्व अर्थव्यवस्था पर COVID-19 के प्रभाव और एक नई आर्थिक व्यवस्था की संभावना पर "अब दुनिया अपनाएगी भारतवाद" (जून 2020) पुस्तक लिखी। भारत और विदेशों में 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया। लघु और मध्यम व्यवसायों पर गहन क्षेत्रीय शोध किया। इसके अलावा देश की कई प्रमुख राजनैतिक, व्यावसायिक, खेल और फिल्म जगत की हस्तियों से साक्षात्कार किया।
देश के कई प्रमुख समाचार पत्रों जैसे दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, युगधर्म, देशबंधु, व्यापार केसरी, बिजनेस स्टेट आदि में सेवा करने के बाद पत्रकारिता को एक अलग दिशा देने के लिए कम्पैनियन ग्लोबल के नाम से स्वयं की इकाई स्थापित की जिसका मुख्य उद्देश्य देश में ज्ञान विभाजन की स्थिति को पाटना और नॉलेज सोसाइटी, केयरिंग सोसाइटी और सस्टेनेबल सोसाइटी के निर्माण के लिए कार्य करना है। वर्तमान में वे कुछ मीडिया संस्थानों को सलाहकार संपादक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। संपर्क: harishchawla@companionglobal.in
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AI और सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में युवा वर्ग, खासकर Gen Z को भटकाने के लिए भरपूर कंटेंट और प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं जिनके जाल में फंस कर यह वर्ग लगातार एक खाई की ओर बढ़ रहा है। उन्हें न
AI और सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में युवा वर्ग, खासकर Gen Z को भटकाने के लिए भरपूर कंटेंट और प्लेटफॉर्म्स उपलब्ध हैं जिनके जाल में फंस कर यह वर्ग लगातार एक खाई की ओर बढ़ रहा है। उन्हें न अपने भविष्य की चिंता है न ही जीवन के असली आनंद को जानने में कोई रूचि। उनकी दुनिया कुछ दोस्तों और किसी डिवाइस तक सिमट रही है। पेरेंट्स समझ नहीं पा रहे कि वे अपने बच्चों को इस भटकाव से कैसे बचाएं। ऐसे पेरेंट्स को ध्यान में रख कर लिखी गई यह पुस्तक उन्हें अपने बच्चों को भटकाव से बाहर निकालने का रास्ता सुझाएगी। पेरेंट्स जान सकेंगे कि वे अपने बच्चों के जीवन में WOH (Work Opportunity-Happiness) फैक्टर कैसे विकसित कर सकते हैं।
पुस्तक की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए इस पुस्तक को ऐसे व्यक्ति पर केंद्रित कर लिखा गया है जो अपनी स्वयं की कमजोरी या गलती से, किसी विशेष परिस्थिति या किसी अप्रत्याशित संकट के चलते उथल-पुथल के भंवर में फंस चुका है। यह पुस्तक कठिनाइयों को छुपाने के बारे में नहीं बल्कि उनसे निपटने के बारे में है। यह पुस्तक बताएगी कि आप अपनी क्षमता को अवसर में और अपने तनाव को ताकत में कैसे बदल सकते हैं। यह पुस्तक आपको मार्गदर्शित करेगी कि असफलताओं को हार नहीं, बल्कि आंकड़े मानकर—और "मैं नहीं कर सकता" को "मुझे देखो" में बदलकर आप कैसे अपनी विपरीत परिस्थिति को अनुकूल बना सकते हैं। यह किताब उन लोगों के लिए नहीं है जो सिर्फ "सामान्य स्थिति में वापस आना" चाहते हैं। यह चुनौतियों को स्वीकार करने, बदलाव करने वालों और उन सभी के लिए है जो यह समझते हैं कि यह नियमों को फिर से लिखने का समय है।
कोरोना महामारी से निपटने में जिस प्रकार विभिन्न देशों की आर्थिक प्रणालियां असफल हुईं उससे यह स्पष्ट हो गया है कि, सभी प्रणालियों में स्वार्थ तत्व हावी है और लोगों में अनुशासन क
कोरोना महामारी से निपटने में जिस प्रकार विभिन्न देशों की आर्थिक प्रणालियां असफल हुईं उससे यह स्पष्ट हो गया है कि, सभी प्रणालियों में स्वार्थ तत्व हावी है और लोगों में अनुशासन कम हो रहा है। यह पुस्तक कोरोना वायरस की महामारी के अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह पुस्तक वर्तमान आर्थिक स्थिति के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में व्यक्तिगत, सामाजिक, व्यवहारिक और व्यवहारगत परिवर्तनों को उजागर करने का एक प्रयास है। कोरोना महामारी से जो समस्याएं और सवाल उठ रहे हैं उनका उत्तर वर्तमान आर्थिक प्रणाली से मिलना मुश्किल है क्योंकि वर्तमान व्यवस्था तो एक दूसरे का शोषण कर अपना हिस्सा बढाने की मानसिकता पर ही टिकी है। इसलिए इसका समाधान ढूंढने के लिए एक नई आर्थिक प्रणाली की कल्पना करनी होगी। एक ऐसी आर्थिक प्रणाली जो उन लोगों के द्वारा दिशा प्राप्त करेगी और संचालित होगी जो वर्तमान आर्थिक प्रणाली के असली चेहरे से भलीभांति परिचित हैं और बदलाव के लिए बेताब हैं। यह पुस्तक "परमार्थ के साथ व्यवसाय" की महत्ता को रेखांकित करते हुए भारतवाद के रूप में एक ने आर्थिक मॉडल की सम्भावना पर प्रकाश डालती है।
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