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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकोरोना महामारी से निपटने में जिस प्रकार विभिन्न देशों की आर्थिक प्रणालियां असफल हुईं उससे यह स्पष्ट हो गया है कि, सभी प्रणालियों में स्वार्थ तत्व हावी है और लोगों में अनुशासन कम हो रहा है। यह पुस्तक कोरोना वायरस की महामारी के अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव में गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। यह पुस्तक वर्तमान आर्थिक स्थिति के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में व्यक्तिगत, सामाजिक, व्यवहारिक और व्यवहारगत परिवर्तनों को उजागर करने का एक प्रयास है। कोरोना महामारी से जो समस्याएं और सवाल उठ रहे हैं उनका उत्तर वर्तमान आर्थिक प्रणाली से मिलना मुश्किल है क्योंकि वर्तमान व्यवस्था तो एक दूसरे का शोषण कर अपना हिस्सा बढाने की मानसिकता पर ही टिकी है। इसलिए इसका समाधान ढूंढने के लिए एक नई आर्थिक प्रणाली की कल्पना करनी होगी। एक ऐसी आर्थिक प्रणाली जो उन लोगों के द्वारा दिशा प्राप्त करेगी और संचालित होगी जो वर्तमान आर्थिक प्रणाली के असली चेहरे से भलीभांति परिचित हैं और बदलाव के लिए बेताब हैं। यह पुस्तक "परमार्थ के साथ व्यवसाय" की महत्ता को रेखांकित करते हुए भारतवाद के रूप में एक ने आर्थिक मॉडल की सम्भावना पर प्रकाश डालती है।
हरीश चावला
इस पुस्तक के लेखक हरीश चावला, आर्थिक समीक्षक, सोशल प्रोजेक्ट एडवाइजर और कम्पेनियन ग्लोबल के संस्थापक हैं. वे 1988 से मीडिया और एंटरटेनमेंट क्षेत्र जुड़े हुए हैं.कम्पेनियन ग्लोबल समाज में लर्निंग, अर्निंग और हैप्पीनेस लेवल को बढ़ाने के लिए प्रयासरत है. पिछले कई वषों से वे ग्रोथ ओरिएंटेड प्रोजेक्ट रिसर्च और कंटेंट की आपूर्ति करने में जुटे हुए हैं. देश के कई अहम् मुद्दों पर ध्यानाकर्षित करने उनकी 25 से अधिक लेखों की एक श्रृंखला BIG ISSUES के तहत प्रकाशित हुई. वे बजट और विभिन्न व्यावसायिक मुद्दों पर कई टीवी कार्यक्रमों की मेजबानी कर चुके हैं. युवा और नवोदित उद्यमियों को कमाई के विभिन्न अवसरों से अवगत कराने के लिए उन्होंने 'बिजनेस एवेन्यूज़' नाम से टीवी धारावाहिक निर्माण किया तथा कुछ भारतीय और विदेशी फिल्मों में दिए गए संदेश को उजागर करके 'फिल्म विद विजन' (टीवी धारावाहिक) का निर्देशन किया। वहीं युवाओं और समाज को प्रेरित करने के लिए कुछ बेहद सराहनीय टीवी कार्यक्रमों जैसे एक चिट्ठी गांधी की, हमारी विरासत, मुस्कान मेरे देश की, ....और नरेंद्र बना विवेकानंद, विजन इंडिया 2020 आदि की संकल्पना की। भारत और विदेशों में 500 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में भाग ले चुके हरीश चावला ने 10 वर्षों से अधिक लघु और मध्यम व्यवसायों के क्षेत्र में अनुसंधान किया तथा कैरियर मार्गदर्शन शिविरों का भी आयोजन किया। उन्हें कई समाचार पत्रों / पत्रिकाओं के मुख्य या कार्यकारी संपादक के रूप में कार्य किया।
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