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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमुझे बचपन से परि कथाओं का शौक था बड़े होकर अपनी परिकथा लिखना चाहती थी । तो एक छोटा प्रयास किया है, आशा है आपको पसंद आएगा । मै एक कहानी की सीरीज लिख रही हूँ जो भारतीय मान्यताओं से भरपूर है । यह कहानी बच्चों के लिए है जो किताबों से दूर औरRead More...
मुझे बचपन से परि कथाओं का शौक था बड़े होकर अपनी परिकथा लिखना चाहती थी । तो एक छोटा प्रयास किया है, आशा है आपको पसंद आएगा । मै एक कहानी की सीरीज लिख रही हूँ जो भारतीय मान्यताओं से भरपूर है । यह कहानी बच्चों के लिए है जो किताबों से दूर और मोबाइल्स के करीब होते जा रहे हैं । हिन्दू मान्यताओं पर आधारित अनेक हॉलीवुड फिल्मों को हम पसंद करते हैं. पर अपने देश में इनके विषय में जानकारी एकत्र करने का हमारे पास समय नहीं । यह एक सच्ची सी लगने वाली काल्पनिक कहानी है। जय श्री हरी। धन्यवाद ।
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आपने पिछले भाग "इन्द्रधनुषी घोड़े" में पढा कि चन्द्रभान के पास आठ दिव्य अश्व थे जो कुछ ही समय में उन्हें भारत भ्रमण करा सकते थे । ये सभी विशेष गुण रखते थे । अब इस भाग में चन्द्रभान क
आपने पिछले भाग "इन्द्रधनुषी घोड़े" में पढा कि चन्द्रभान के पास आठ दिव्य अश्व थे जो कुछ ही समय में उन्हें भारत भ्रमण करा सकते थे । ये सभी विशेष गुण रखते थे । अब इस भाग में चन्द्रभान की भेंट दो दिव्य स्त्रियों से होती है जो किसी अन्य लोक या ग्रह से आयीं है । चन्द्रभान इनके ग्रह लौटने में इनकी सहायता करते हैं और उनके दिव्य अश्व उनका साथ देते हैं । देवियों ने चन्द्रभान को लौटने से पूर्व कुछ उपहार भी दिये । चन्द्रभान ने देवियों की किस प्रकार सहायता की व क्या उपहार अर्जित किये ? यह जानने के लिए पढिए "मदुषा और विनीषा "
जब इन्द्रदेव ने धरती पर पहली बार पानी बरसाया तो पानी की बूँदों ने सूर्य के प्रकाश को सात रंगों में विभाजित कर एक रंग बिरंगे धनुष का निर्माण किया । हमने इसे इन्द्रदेव के सम्मान मे
जब इन्द्रदेव ने धरती पर पहली बार पानी बरसाया तो पानी की बूँदों ने सूर्य के प्रकाश को सात रंगों में विभाजित कर एक रंग बिरंगे धनुष का निर्माण किया । हमने इसे इन्द्रदेव के सम्मान में इसे नाम दिया इन्द्रधनुष । इसी से सात दिव्य अश्व प्रकट हुए । एकबार वो सभी इन्द्रदेव के साथ धरती पर आये और विवधताओं से भरी भारत भूमि उन्हें इतनी भाई कि यहीं बस गये । ये सभी विभिन्न गुण रखते हैं । इन्हें प्राप्त करने के लिए चन्द्रभान ने कितने पापड़ बेले ? जानने के लिए पढिए "इन्द्रधनुषी घोड़े "
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