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आदत्....!!
By Pratiksha.J in Poetry | कुल पढ़ा गया: 266 | कुल पसंद किया गया: 1
आदत् नहीं ,भींड़ मैं चलनें की.. क्योंकी ख्वाइश् हैं सबसे अलग् बननें की... खुद्दको आजमां कर् जरा अकेलें गुज़रने कीं... &nbs  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 10:47 AM
पैसा वरदान या अभिशाप ? निर्णय आपका
By Dr Jagdish Prasad in Poetry | कुल पढ़ा गया: 212 | कुल पसंद किया गया: 0
पैसा वरदान है क्योकि :- माता पिता बंधू बांधव बिच, लाड लड़ावे  ते पैसा ! ‘हनीमून’ का ‘मनी’ मूल, ते सबक सिखा  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 11:15 AM
सफर और हमसफर
By AMIT KUMAR in Travel | कुल पढ़ा गया: 755 | कुल पसंद किया गया: 1
ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 11:38 AM
अज़ब देश की गज़ब कहानी
By Dr Jagdish Prasad in Poetry | कुल पढ़ा गया: 558 | कुल पसंद किया गया: 0
भारत देश विचित्र है क्योंकि यहाँ – कथनी बहुत, पर करनी कम . वक्ता बहुत,  पर श्रोता कम . आलोचक खूब, प्रशंसक कम. विचार   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 12:01 PM
महादेव तेरे नाम
By dolly in Poetry | कुल पढ़ा गया: 371 | कुल पसंद किया गया: 0
कभी आंसू छेड़ जाते है दिल के तार, कभी याद आते है वक्त के वार । कोई कहता है वक्त सब का बदलता है, पर हमारा किस ओर चलता है।   ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 12:04 PM
Yaad Hi Nahi
By Mohd Azeem in Poetry | कुल पढ़ा गया: 193 | कुल पसंद किया गया: 0
Kab suraj ko dubte dekha thaYaad hi nahi Din bhar zindegi ki daud mai duadte duadteAb jana kha hai Yhi bhool gye Aisa bhi kya gaon choda Vapas jana hi bhoool gye Mustaqbil ko savaarne mai aise lage Maa ki god me kab sar rkha thaYaad hi nhi Ek sapna jaise sara waqt hi Khaa gya  Sh  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 12:13 PM
मेरी कलम
By GOVIND UIKEY in Mystery | कुल पढ़ा गया: 806 | कुल पसंद किया गया: 0
जिस प्रकार हमारी "आत्मा" जिसका स्वरूप हमारे सिर के बाल के अग्र भाग के दस हजारवें हिस्से में स्थित होता है । जो इतनी छ  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 12:16 PM
Ek tarfa mohabbat
By Ruchika jain in True Story | कुल पढ़ा गया: 375 | कुल पसंद किया गया: 0
Mulaqat toh hoti rahegi  Kam se kam haal hi puch lia karo  Bhulne ki kosish kyu karte ho  Pehle dil se toh puch lo  Aakhir, Woh kya chahta  Aate jate rahegi pareshaniyan  Tum kya chahte ho, khud se toh puch lo  Iss jugalbandi ki dunia mei  Khushiyan kinme dhun  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 12:54 PM
True love
By Sharad Aggarwal in Poetry | कुल पढ़ा गया: 384 | कुल पसंद किया गया: 0
रूह से इश्क़ है, जिस्म ना दिखा। तेरे लिए दुनिया कुर्बान है, तू खून का दरिया ना बहा। अभी तो सपने सस्ते है तेरे, इनका सौ  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 01:35 PM
Maa baap
By Iqbal Kaur in True Story | कुल पढ़ा गया: 206 | कुल पसंद किया गया: 1
Maa baap  Kiya dastoor hai is duniya ka  Jin maa baap ne paida kiya pala posa Unki koi kadar nahi rahi Kiya kahe us bete ke bare mein jisne apne maa baap ko ghr se nikala Hum age badh rhe hai har sahooliyat paa rhe  Par afsos humara dimaag piche ja rha Age age badhte badhte hum apne a  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 04:12 PM
अंदाज़े बयां
By M Tasleem in Poetry | कुल पढ़ा गया: 178 | कुल पसंद किया गया: 0
उनके अंदाज़े बयां का क्या कहना कभी नज़रों से कभी लफ्जों से कभी चूड़ी की खनक कभी पायल की छनक कभी होंठों से बात करते हैं उ  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 05:56 PM
आओ न चांद तारों की बातें करें
By M Tasleem in Poetry | कुल पढ़ा गया: 392 | कुल पसंद किया गया: 0
आओ न चांद तारों की बातें करें सपनों के दुनिया की बातें करें तीज त्योहारों की बातें करें अपने पराए की बातें करें दूस  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 06:05 PM
माफी
By M Tasleem in Poetry | कुल पढ़ा गया: 190 | कुल पसंद किया गया: 0
एक खौफ सा है जो जाता नही एक आहट सा है जो पास आ रहा एक चादर छेदों से भरी लिए मांगता रहा सदा कुछ बचा या सब रीत गया छालों स  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 06:11 PM
कोरोना से डरो ना |
By ankita in General Literary | कुल पढ़ा गया: 262 | कुल पसंद किया गया: 2
आज के इस कठिन दौर में जब पूरा विश्व कोरोना वायरस जैसी महामारी का संकट झेल रहा है तब से नकारात्मक ने भी कहीं ना कहीं ह  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 06:17 PM
poem
By Dinesh Joshi in Poetry | कुल पढ़ा गया: 236 | कुल पसंद किया गया: 0
                 बेदखल लोग पैदल,सिर पर गठरी रख कर निकल पड़े हैं लोग अपने घर गांवों की दिशा को चल पड़े हैं लोग।  ज्यादा पढ़ें...
इस तारीख़ को पब्लिश हुआ Mar 30,2020 06:37 PM