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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palआदर्शिनी, उन महिलाओं की जीवनी का उल्लेखन है जिन्हें शम्भुका फाउंडेशन द्वारा संयोजिय कार्यक्रम 'वुमनिया' के तहत सॉवरेन तथा कॉमरेड की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह पुस्तक 'वुमनिया' सम्मान कार्यक्रम का एक हिस्सा है तथा इस पुस्तक का उद्देश्य आज की युवतियों को प्रेरित करना है। इस किताब का प्रथम उद्देश्य राष्ट्र की महिलाओं को सफलता के पथ पर अग्रसर कराना है तथा उनको यह समझाना है कि जीवन की बाधाएँ उन्हें सफल होने से नहीं रोक सकतीं। इस किताब में कई ऐसी स्त्रियों की जीवन कथा का उल्लेख है जिन्होंने हर रुकावट का डटकर सामना किया और अपने सपनों को पूरा किया। विश्व की हर महिला में यह ताकत है कि वह अपना रास्ता स्वयं चुने और उस पर निडर होकर चलते रहें। इस पुस्तक के माध्यम से हम उन बच्चियों व स्त्रियों को प्रेरित करना चाहते हैं जिनके जीवन का उद्देश्य अपने सपनों को पूरा कर सफलता के साथ विश्व तथा राष्ट्र को गौरवान्वित करना है।
आज भारत में महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी गहन प्रतिभाओं को निखार रहीं हैं तथा अपनी भूमिका बखूबी निभा रहीं हैं। चाहे वो राजनीति हो या व्यवसाय, विज्ञान हो या कला, वे प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। इस बदलाव ने महिलाओं को गरिमा के साथ आगे ला खड़ा किया है। इस किताब में 70 ऐसी सफल महिलाओं का उल्लेख है, जिन्होंने अपनी प्रतिभा एवं रचनात्मकता से अपना नाम ऊँचा किया है।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.शम्भुका फाउंडेशन
अनुराग गोयल, पिता श्री विनोद कुमार गोयल, पिता स्व. श्री रामेश्वर प्रसाद गोयल, पिता स्व. श्री राम रतन गोयल, पिता स्व. श्री जवाहर मल गोयल, पिता स्व. श्री हनुतराम गोयल, पिता स्व. श्री भिवराज गोयल, पिता स्व. श्री शम्भूका गोयल। संस्था का नामकरण इस वंश प्रणाली के ज़रिए किया गया था। अनुराग गोयल जी का कहना है कि "बुज़ुर्गों और बड़ों के आशीर्वाद के बिना मैं कुछ नहीं कर सकता, इसलिए मैंने उनके सम्मान में और आशीर्वाद प्राप्ति हेतु संस्था का नामकरण इस विधि से करने का निर्णय लिया।"
वे बताते हैं कि हैप्पी एम्पावरड चिल्ड्रन बनाने के लिए एवं एक विज़न और मिशन के साथ शम्भुका फॉउंडेशन शहरी झुग्गियों, गाँवों और निमार्ण स्थलों पर बच्चों तक पहुँचता है और शिक्षा और कौशल के माध्यम से उनके जीवन को बदलता है। इसके अलावा संस्था ने सामाजिक और आर्थिक रूप से गरीब और घशिए के समुदायों के उत्थान की दिशा में विकासात्मक कार्यक्रम का संचालन किया है। यह संगठन बाल श्रम के उन्मूलन, निष्पक्ष श्रम मानकों को बढ़ावा देना और ग्रामीण शहरी गरीब समुदाय दोनों के व्यापक विकास के लिए काम करना जारी रखता है तथा महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण के लिए भी कार्यरत है।
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