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Baal Geet in Rajasthani / टाबरां का गीत राजस्थानी बाल-गीत संग्रै

Author Name: Kusum Agarwal | Format: | Other Details

मेरै ई बाल गीत संग्रै “टाबरां का गीत” में भांत-भांत की इक्यावन कविता है। कवितावां का विषै टाबरां के मन भावै जिसा है। हाँसी-मजाक की कविता भी है तो चोखी सीख सिखावण की भी। पंछियां अर जिनावरां की कविता भी है तो दादो-दादी की भी। अै कवितावां टाबरां ने राजस्थानी भासा सीखणै में भी मदद करैगी।

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कुसुम अग्रवाल

जन्म: अलसीसर, जिला झुंझुनू, राजस्थान 

शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेज़ी) 

संप्रति-पिछले पैंतीस वर्षों से लगातार साहित्य सृजन में संलग्न। साहित्य की सभी  विधाओं- गज़ल, गीत, कविता, कहानी, लेख, डायरी, नाटक, आत्मकथा में लेखन व देश की प्रख्यात पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।आकाशवाणी से भी रचनाओं का प्रसारण। 

प्रकाशित पुस्तकें : 

पिंकू के कारनामे (पंजाबी), गीत गुलशन (बाल गीत संग्रह), परंपरागत खेल (फ्लिप बुक), द मंकी एंड द ओल्ड वूमेन, मारू फिर कब आओगे (बाल उपन्यास), नानक वाणी, अभी ज़िंदगी और है (प्रौढ़ कथा संग्रह), बाल कथा संग्रह - कबूतर उड़ गए, अंत भले का भला, ग़ुब्बारों की एकता, राधा इस्कूल जावैगी (राजस्थानी), बाल एकांकी संग्रह - हम सब एक हैं ।

पाठ्य पुस्तकों में रचनाओं का प्रकाशन:

मधुप हिंदी पाठमाला- 2 में कविता "परंपरागत खेल", मधुप हिंदी पाठमाला- 4 में नाटक 'चाणक्य'

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