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Bhakha Bahata Neer, Pahadi Bhashaon Ke Vikas Ki Chunotiyan / भाखा बहता नीर, पहाड़ी भाषाओं के विकास की चुनौतियां

Author Name: Gagandeep Singh | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

यह किताब एक बहुत बड़ी बहस के डॉक्युमेंटेशन का अनूठा प्रयास है। इस सम्वेदन शील विषय पर संकलन कर्ता की अपनी दृष्टि काफी स्पष्ट दिखती है। चूँकि वे हिमाचल से बाहर के हैं, तो उन की सीमाएं भी साफ साफ दिख रहीं हैं और शक्तियाँ भी। सीमाएं इस अर्थ में कि इस ऐतिहासिक बहस का कुछ पक्ष इन से छूट गया लगता है। आठवें नवें दशक में भी हिमाचल की पत्र पत्रिकाओं में भाषा पर गम्भीर बहस हुई थी। मैं समझता हूँ कि दैनिक जनसत्ता तथा अनूप सेठी की पत्रिका हिमाचल मित्र में हुई बहस के कुछ अंश यहाँ ज़रूर जाने चाहिए थे। शक्तियाँ इस अर्थ में कि इस पूरे काम में भावुकता के स्थान पर तार्किकता से काम लिया गया है। एक वांछित तटस्थता भी निभाई गई है, जो काम एक गैर हिमाचली ही कर सकता था। स्थानीय लेखक ऐसे मामलों में पूर्वाग्रह, भावुकता, और राजनीतिक पक्षधरता से शायद ही बचा रह पाता। खैर, यह पक्षधरता भी एक स्तर पर ज़रूरी भी है। हम सब अपनी-अपनी मातृभाषा के अनूठेपन, सौदर्य और ताक़त को ले कर बेहद पज़ेसिव और भावुक होते हैं। आखिरकार भाषा आप की सामूहिक व सामुदायिक स्मृतियों, अस्मिता एवम सांस्कृतिक वजूद का सब से महत्वपूर्ण सम्वाहक होती है। 

साथ ही साथ यह बता देना ज़रूरी है कि इस किताब में लिखी हर बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता। निस्सन्देह यह एक ज़रूरी बहस है और इस किताब ने हिमाचल में भाषा के यक्ष प्रश्न को एक बार फिर से खड़ा करने का तथा इस पुरानी बहस को आगे बढ़ाने का सराहनीय दुस्साहस किया है। गगन दीप सिंह को ढेर सारी शुभ कामनाएं! 

अजेय

16.01.2024

पटियाला, उत्तर क्षेत्र भाषा केन्द्र 

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गगनदीप सिंह

गगनदीप सिंह

लेखक पत्रकार अनुवादक डाक्युमेंट्री मेकर

लेखन
सुकेत रियासत के विद्रोह, 2021
आदिम समाज एक परिचय, 2022
आधुनिक भारत के अदृश्य निर्माता: 
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की स्थिति (सह लेखन) 2020
हिंयूद, समयांतर, हिमांतर, देस हरियाणा, जन चौक, डाऊन टू अर्थ, लाईव टाईमस टीवी जैसी पत्रिकाओं और वेब पोर्टल्स के लिए हिमाचल प्रदेश के इतिहास, पर्यावरण, सामाजिक न्याय, राजनीतिक-आर्थिक मुद्दों पर लगातार लेखन, 300 से अधिक लेख, आलेख प्रकाशित।
अनुवाद
गुलामगिरी सहित जोतिबा फुले व सावित्री बाई फुले की रचनाओं का हिंदी अनुवाद। 
डाक्युमेंट्री 
द लास्ट हैरिटैज, जीणा कांगड़े दा, 
भाषा, संस्कृति एवं कला विभाग के लिए – विलुप्त होती विद्धा धनोटू वादन, गुगा गाथा गायन, सिया गायन, माल गायन व सुकेत के लोक गीतों का विडियो दस्तावेजीकरण 

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