हाथो की लकीरे देख कर ही रो देता है अब तो ये दिल, इसमें सब कुछ तो है पर एक तेरा नाम ही नही।
ख्वाहिश तो कभी ना थी किसी से ♥दिल♥ लगाने की
पर क्या करे किस्मत में दर्द लिखा हो तो मोहब्बत कैसे ना होती
चीख कर दर्द बताऊँ और मज़ाक में खुद बन जाऊं,
बेहतर है रो लूँ खुद ही और राख का ढेर बन जाऊं…!!!
वो अपने दर्द को रो-रो कर सुनाते रहे
हमारी तन्हाइयों से आँखें चुराते रहे
और हमें बेवफ़ा का नाम मिला
क्योंकि हम हर दर्द को मुस्कुरा