‘दीप शिखा’ कहानी-संग्रह को पढने के बाद मुझे प्रतीत हुआ कि मानव जीवन के दुःख-दैन्य के कारण-बीज अधिकतर हमारी पुरातन रूढ़ि-रीतियों तथा मध्य युगीन सामाजिक व्यवस्था में है | ‘उधार का दूध’ ,’उसने पीया है जहर’, ‘शरणार्थी’, ‘मरणोत्सव’ आदि रचनाओं के अलावा, और व्यापक स्वरुप के दर्शन ‘छोटी-बहू’ में मिलते हैं | दीपशिखा, लेखिका की नवीण साधना का आशीर्वाद है | कला के कोमल फेन का मूल्य मानवीय संवेदन के स्वस्थ सौन्दर्य से अधिक है | यह मैं नहीं मानती, क्योंकि कला के अनेक र