'दिल से' किताब का सातवाँ संस्करण 'दिल ज़रा' हमारे समाज की गंभीर समस्याओं और उनके समाधान की संभावनाओं पर रोशनी डालने का काम करता है। यह किताब वर्ष 2030 तक भारत के सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में गरीबी, भूख, शिक्षा, जेल व्यवस्था और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को नए दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करती है।
'दिल ज़रा' न सिर्फ उपरोक्त समस्याओं को उजागर करती है, बल्कि पाठकों को यह सोचने पर मजबूर भी कर देती है कि इन जटिलताओं को सुलझाने के लिए किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं। सामाजिक विषमताओं को खत्म करने, शिक्षा को और सुलभ बनाने और जेल व्यवस्था में सुधार लाने जैसे विषयों को इस पुस्तक में संवेदनशीलता और गंभीरता से उठाया गया है।
यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक विचार है, जो हमें अपने भविष्य की दिशा में एक सार्थक और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती है। 'दिल ज़रा' हर पाठक के मन में सवाल उठाने और उनके भीतर बदलाव की चिंगारी जगाने का प्रयास है। यह एक आह्वान है उन सभी के लिए, जो एक उन्नत, समान और संवेदनशील भारत के निर्माण का सपना देखते हैं।
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