संसार की अधिकतर जनसंख्या आज भी धर्म में आस्था रखने वालों की है । धर्म मनुष्य की अमूल्य धरोहर है । लगभग संसार के प्रत्येक देश में अनेक धर्म है । उस देश का प्राचीन इतिहास उसी धर्म की पवित्र पुस्तकों में आज भी विद्यमान है । प्राचीन इतिहास को जानने का एक मात्र श्रोत्र धर्म पुस्तकें ही हैं , लेकिन आज अत्याधुनिक युग ( वैज्ञानिक युग ) में नई पीढ़ी धर्म से विमुख होती जा रही है । इसका सबसे बड़ा कारण धर्म के बारे में सही जानकारी न होना व पवित्र पुस्तकों को न पढ़ना है । आज के युग में प्रत्येक धर्म में सम्प्रदायों की पहचान बनाना व धर्म में नयी बातें ( मनगढ़ंत ) होने से है । धर्म के सम्प्रदायों के बारे में जानकारी मिलना लगभग असम्भव है क्योंकि इससे संबंधित पुस्तकों का अभाव है , और कोई सही जानकारी भी नहीं देता । मैंने कई धर्मों में इसकी जानकारी करनी चाही लेकिन किसी ने इसके बारे में नहीं बताया और मैंने कई आलिमों ( विद्वान ) से भेंट की लेकिन कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पायी और मैं पारसी ( जरथुस्त्र ) के पादरी के पास गया लेकिन वहाँ भी निराशा हाथ लगी और आर्य समाज व कई अन्य लोगों से मिला लेकिन सभी ने यह कह दिया कि आप अपनी पवित्र पुस्तक ( कुरआन शरीफ ) को पढ़ो । तब मैंने सोचा कि यह लोग कोई जानकारी क्यों नहीं दे रहे ?
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