भारतीय दर्शन और अध्यात्म में कर्म के महत्व और उसके फल के बारे में हमेशा से चर्चा की गई है। अब तो पाश्चात्य देशों में भी हमारा कर्म का सिद्धान्त ‘Karma Theory’ के रूप में अत्यन्त प्रचलित हो चुका है। लेकिन वास्तव में कर्म क्या है? क्या हम सब जो हर समय कर रहे हैं, वो कर्म है? हमारा व्यवसाय कर्म है? या किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया गया कार्य कर्म है? वैसे तो कर्म के बारे में सबसे अच्छा और सम्पूर्ण ज्ञान श्रीमद्भगवत्गीता में उपलब्ध है लेकिन क्या उसे सरल भाषा