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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक काशी के मनोहर घाटों और बनारसी संस्कृति और उनके संक्षिप्त इतिहास को पाठकों तक पहुंचाने का एक विनम्र प्रयास है। घाटों की नवीनतम छवियों को फिर से चित्रित किया गया है और संबंधित अध्यायों में जोड़ा गया है। यह पुस्तक पिछले 7-8 वर्षों के दौरान वाराणसी तट में हुए परिवर्तनों का दर्पण है, विशेषतः वर्तमान मोदी सरकार द्वारा किए गए परिवर्तन, कुछ नए और पुराने घाट जो पहले अंग्रेजी संस्करण में नहीं थे, उन्हे इस पुस्तक में समाहित किया गया है। पुस्तक को और अधिक सार्थक बनाने हेतु घाटों के विवरण को और अधिक स्पष्ट किया गया है और जहां भी आवश्यक था, नए फोटोग्राफ, नए अध्याय जोड़े गए है।
पुस्तक को और अधिक आनंदमय बनाने के लिए फोटोग्राफ़्स को बेहतर किया गया है। लेखक एक पेशेवर फोटोग्राफर नहीं है, इसलिए कुछ फ़ोटोज़ विभिन्न कारणों से उतने अच्छे नहीं होंगे जिनके लिए लेखक अपना गहरा खेद व्यक्त करता है। पुस्तक को अधिक उपयोगी और ज्ञानपूर्ण और पठनीय बनाने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए गए हैं।
हार्दिक अभिनन्दन के साथ....
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.सुरेश तिवारी
उत्तर प्रदेश में जन्मे... बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर।
रासायनिक और उर्वरक के क्षेत्र में देश-विदेश में करीब 37 साल का कई तरह का प्रोफेशनल अनुभव।
’An Engineer by Profession and Artist by Heart’…
श्री तिवारी की हिंदू धर्म में अटूट आस्था और हिंदुस्तान के प्रति अगाध प्रेम है। उन्हें लेखन, कला और फोटोग्राफी में रुचि है। यह लेखक की चौथी पुस्तक है। नोशन प्रेस द्वारा "हिंदू व्याथा", "झरोखा-अतीत के पन्नो से" तथा “Ghats of Benaras (English)” पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके किंडल संस्करण भी उपलब्ध हैं। “काशी के घाट” लेखक की नवीनतम चित्र कथा है जो लेखक द्वारा खींची गई वास्तविक तस्वीरों पर आधारित है और “Ghats of Benaras” का हिन्दी संस्करण है जो अनेकों पाठकों के अनुरोध पर लाई गयी है । आशा है कि लेखक के इस प्रयास से न केवल ज्ञान में वृद्धि होगी बल्कि पाठकों को गंगा के घाटों के मनमोहक सौंदर्य से भी परिचित कराया जा सकेगा। लेखक का मानना है कि पुस्तक काशी आने वालों के लिए भी मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकती है...
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