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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअगर समस्याए गिनने बैठे तो समस्याओ की कमी नही होगी। किसी मोहल्ले मे अगर आप सभी की समस्या सुनने लगोगे तो निश्चित है कुछ देर के पश्चात आप को रोना भी आ जाएगा। इस संसार मे, हमारे देश, राज्य मे, जिले मे, शहर मे, मोहल्ले मे, गावँ मे, गली मे हर जगह कुछ ना कुछ तो समस्या है। इनमे से कुछ समाजिक है और कुछ गृहस्थी की, मगर हाँ समस्या जरुर है। युग कोई भी हो चाहे सतयुग हो, त्रेतायुग हो, द्वापरयुग हो या कलयुग हो लेकिन सभी युगो मे समस्याए जरुर थी। हम तो कलयुग मे जी रहे है जहाँ मुसीबतों की कमी नही है। समय और युग के साथ-साथ समस्याएं भी परिवर्तित होती रहती है।
इस उपन्यास में भी आपको समस्याओं से लड़ना पड़ेगा। कहीं अपने ही परिवार वाले नहीं समझ रहे हैं। कहीं समाज को समझाना मुश्किल हो गया है। समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो घिनौना काम कर, आम आदमी के अंदर भय पैदा कर देते हैं। मगर हर युग में अच्छे लोग भी जरूर जन्म लेते हैं। वे जितना हो सके उतना लोगों का भला करते ही है। कहानी के पात्र आपके इर्द-गिर्द ही मौजूद है। कोई विचारो से अच्छा है तो कोई बुरा है। कहानी में घटित घटनाएं आए दिन हमारे समाज में होती रहती है।
रविंद्र मुंडेतिया
रविंद्र मुंडेतिया का जन्म राजस्थान के अजमेर जिले मे स्थित एक छोटे से गावँ कानपुरा मे हुआ। पिताजी का नाम मोहनराम मुंडेतिया है और माताजी का नाम सुशीला। पिताजी ने बारवी तक शिक्षा प्राप्त की थी मगर घर की स्थिति ठीक ना होने के कारण रविंद्र मुंडेतिया के पापा आगे पढ़ ना सके। पिताजी मुंबई मे फूटवेयर का काम करते है। रविंद्र मुंडेतिया भी अपने परिवार के साथ मुंबई के चेंबूर इलाके मे स्थित ठक्कर बप्पा कॉलोनी मे रहते है। रविंद्र मुंडेतिया को जब भी वक्त मिलता तब वे भी पढ़ाई के साथ-साथ फूटवेयर के काम मे परिवार वालो की मदद करते है। रविंद्र मुंडेतिया का एक छोटा भाई है। वे भी अध्ययन कर रहे है। परिवार मे चार सदस्य है - माता पिता और दो भाई।
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