You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस किताब के माध्यम से मैं सभी को यही संदेश देना चाहूंगी ,
कि अपनी परेशानियों से कभी डरना नही उससे लड़ना है और हालात कैसे भी हो , कभी उसपर रोना नहीं उससे आगे कैसे निकलना है , उसे कैसे हल करें इस पर ध्यान देना है ।
लोग कैसे भी हो लेकिन सबके प्रति प्यार ,आदर , सम्मान , रखना चाहिए ।
क्योंकि इन्हीं लागों से हम ऊंचाइयाँ छूते है ।
अगर जिंगदी में परेशानियां ना हो तो जिंदगी जीने का मजा ही नहीं होता ।
और ना ही हम कुछ सीख पाते ।
इस किताब में बताया गया है - कि मांफी माँगने से कोई छोटा नहीं होता और माफ करने से कोई बड़ा नहीं होता ।
जिंदगी को आप जिस नजरिये से देखेंगें जिंदगी आपको वैसी ही दिखेगी । इसीलिए कहा गया है इस किताब में - नजरिया बदलिये , जिंदगी अपने आप बदल जायेगी ।
दिव्या जैन
मैं दिव्या जैन , ग्वालियर शहर से । मैंने अपनी लेखन साहित्य के हुनर को कक्षा ग्यारहवीं से निखार ना प्रारंभ कर दिया था । मेरी कुछ कविताएं , मेरे स्कूल की मैगजीन में प्रकाशित भी हुई है । मुझे लिखना और किताबें पढ़ना अत्यंत पसंद है । मैं अपने खाली समय में चित्रकला , गायन या कुछ नया सीखने का प्रयास करती हूं । मेरी यह पहली एकल किताब है , जिसका नाम " क्या करें क्या नहीं " है । आपको यह कहानी पढ़कर बहुत अच्छा लगेगा । यह कहानी मैंने खुद से संबंधित लिखी है । मेरे मन में कई विचार होते हैं इसीलिए मैं अपने विचार लेखन के माध्यम से व्यक्त कर देती हूं ।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.