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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमहाप्रभु श्री जगन्नाथ अखिल ब्रम्हांड के नायक हैं एवं उनसे ही पूरा जगत सतत गतिमान है। यह पुस्तक भी उनकी ही प्रेरणा से लिखने का प्रयास किये हैं। छत्तीसगढ़ राज्य उड़ीसा सीमा से लगा हुआ राज्य है एवं यहाँ के सीमावर्ती जिलों के प्रत्येक शहरों और गांवों में एक श्री जगन्नाथ मंदिर अवश्य हैं। वहां के सभी लोग महाप्रभु श्री जगन्नाथ को ही अपना ईष्ट मानते हैं और पूजन करते हैं अतः उन्हें महाप्रभु एवं उनके श्री महाप्रसाद के बारे में अधिक से अधिक जानने की जिज्ञासा होती है,जबकि इनसे संबंधित अधिकतर साहित्य उड़िया भाषा में ही उपलब्ध है।अतः उनकी जिज्ञासा होने पर भी वे महाप्रभु एवं उनके श्री महाप्रसाद के महत्वों से अनभिज्ञ हैं। आज विश्व के विभिन्न देशों में सनातन धर्म एवं श्री जगन्नाथ संस्कृति का महत्व बढ़ रहा है अतः यह पुस्तक विश्व के उन सभी के लिए भी बहुत उपयोगी है जिनकी महाप्रभु श्री जगन्नाथ एवं श्री जगन्नाथ संस्कृति के प्रति गहरी श्रद्धा एवं विश्वास है। इस पुस्तक में पुरी श्री मंदिर के नीति- विधि एवं श्री महाप्रसाद के निर्माण की विधियाँ तथा उन्हें ग्रहण करने की नीतियों, के बारे में विस्तार से वर्णन है, क्योंकि यह सामान्य प्रसाद नहीं 'महाप्रसाद' है ।
डॉ दिनेश षड़ंगी, डॉ प्रीति षड़ंगी
डॉ दिनेश षड़ंगी:-
वर्तमान में रायगढ़ स्थित रियासतकालीन श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य ट्रस्टी के रूप में महाप्रभु की सेवा में हैं I वनस्पति एवं वानिकी विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के पश्चात जबलपुर स्थित भारत सरकार के वन अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक पद पर 15 वर्ष सेवा दिए एवं वन अनुसंधान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की I विभिन्न राज्यों के वन क्षेत्रों में वन अनुसंधान के कार्य करते हुए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिकाओं में कई शोध पत्र एवं पुस्तकें प्रकाशित किये तथा कनाडा ,अमेरिका ,इंडोनेसिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में वन एवं पर्यावरण सम्बंधित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त किये I वर्तमान में श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की सेवा में ही पूर्ण समर्पित हैं I यह पुस्तक उन्हीं महाप्रभु की सेवा में उनकी प्रेरणा से जनहितार्थ प्रस्तुत किया गया है I
डॉ प्रीति षड़ंगी :-
वर्तमान में कि.शा.कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ छत्तीसगढ़ में अंग्रेजी विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं I इन्हें पढ़ने एवं पढाने के अलावा विभिन्न प्रकार के भोजन बनाने में आनंद और संतुष्टि मिलती है I भोजन के बनाने में नए नए प्रयोग करना अच्छा लगता है I यह सर्वविदित है कि पूरे विश्व में महाप्रभु जगन्नाथ जैसे विभिन्न प्रकार के भोग ग्रहण करने वाले अन्य कोई देवता नहीं हैं एवं उनके भोग में जो दिव्य सुगंध होती है वह अवर्णनीय होती है I महाप्रभु की प्रेरणा से इस पुस्तक के लिए महाप्रभु के विभिन्न प्रकार के भोगों के निर्माण की निश्चित विधियों से प्रायोगिक तौर पर बनाने एवं उन्हें संकलित कर महाप्रभु की सेवा में अर्पित किया है I
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