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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबेटी एक ऐसी दौलत है जिसे पाकर जीवन सफल होसक्ता है। बेटियाँ वो चिड़िया है जो अपने माँ-बाप के खातिर, अपने परिवार के खातिर अंजाने सफर पे चली जाती है। बेटियाँ ही होती है जो अपने माँ-बाप की सेवा मे हमेशा उपलब्द रहती है। लेकिन बेटियों को हमारे समाज मे वो सम्मान नहीं मिलपता है, उसके बोहत सारे कारण है, वे सामाजिक भी है और राजनैतिक भी। हम बेटियों को देवी लक्ष्मी तो कहते है लेकिन उन्हे कभी वो देवी का दर्जा नहीं देते। ये किताब एक कोशिस है जहा बेटियों को उनका हक का सम्मान दिया गया है। समाज को एक आईना दिखाने का काम ये किताब करती है। बेटियाँ होती है तो घर मे खुशबू बर करार रहती है, बिन बेटियों का घर तो बेजान सा ही होता है।
प्रकाश राठोड
प्रकाश राठोड एक मोहब्बत के कवि है जो मोहब्बत पे शायरी लिखते है। लेकिन इस किताब मे उनहोंने उस बेटी पे लिखा है जिसने कठिन मानसिक हालातों से उन्हे बाहर निकाला। वे कर्नाटक के गुलबर्गा शहर से तालुकात रखते है। वे सवित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के छात्र रहे है। कवि भूगोल विषय के विध्यारती रहे है। उन्होंने कविताएं लिखना पुणे मे ही सीखा अपने कॉलेज दिनों मे। अभी वे असिस्टन्ट प्रोफेसर के रूप मे द महाराज सायजीराओ यूनिवर्सिटी ऑफ बरोड़ा, वडोदरा मे काम कर रहे है।
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