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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजिस प्रकार से आज के समय में जनता विद्वानों से तरह-तरह के उल्टे सीधे सवाल करते हैं उसी प्रकार से प्राचीन समय में पैगंबर से भी तरह-तरह के उल्टे सीधे सवाल करते थे उसका उलट पैगंबर भी जनता से सवाल करते थे , लेकिन पैगंबर को इईश्वरीय ज्ञान द्वारा उचित ढंग से उत्तर दिया जाता था इस प्रकार से जनता संतुष्ट हो जाती थी लेकिन जिनको नहीं मानना था वह संतुष्ट नहीं होते थे और न हीं विश्वास करते थे।
उपरोक्त पुस्तक के शीर्षक के अनुसार ही इस पुस्तक में पैगंबर ने जनता से जो भी सवाल किया है उसका विवरण इसमें दिया है वहप पवित्र क़ुरआन में से ही लिया गया है।
जिस प्रकार से आज नास्तिकों के प्रश्न होते हैं सेम उसी प्रकार से उस जमाने में नबीयों से प्रश्न लोग करते थे। उसी प्रकार से पैगंबर भी जनता से सवाल करते थे।
लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि हर प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसे सिर्फ महसूस या अनुभव किया जा सकता है, देखा नहीं जा सकता।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.अब्दुल वहीद
मेरा नाम अब्दुल वहीद है मेरे पिता का नाम स्वर्गीय हाजी उबैदुर्रहमान है व माता का नाम जैबुन्निसा है । मैंने बचपन से ही वैज्ञानिक विचारधारा को पसंद किया है और शांत स्वभाव व पुस्तकों से लगाव रहा है । जिससे मेरी रोज जिज्ञासा रुचि निरंतर नए - नए खोजो को जानकारी में प्रयुक्त रहा है । मैं BSc करते समय पालीटेक्निक में सेलेक्शन हो गया था , लेकिन दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया था क्योंकि पिता और भाई का सर्वगवास हो गया था ।
मेरे पिता जी की दो बातें जो , मेरे जीवन के लिए अत्यंत अनमोल है -
प्रथम - इमानदारी से कमाओ झूठ का सहारा मत लो ,
दूसरा अन्न की इज्जत करो और जितना खाना हो उतना ही लो ।
इसलिए घर की जिम्मेदारी , फिर बाद में विवाह हो जाने के कारण शिक्षा अधूरी रह गई । फिर भी हिम्मत नहीं हारा और आज आपके सामने मेरे विचारों के रूप में पुस्तक उपलब्ध है । यदि कोई जानकारी अधूरी रह गई हो तो कृपया जरूर अवगत कराये ।
धन्यवाद ।
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