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Rang Birange (Part-15) / रंग-बिरंगे (भाग-15)

Author Name: Man Singh Negi | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

जीने की चाह और जीवन के रंग जब बिखरने लगते हैं. जब जीवन मे उतार-चढ़ाव आने लगते हैं.

 जब व्यक्ति अपने भविष्य के लिए संघर्ष करता है. उस संघर्ष में वह अकेला ही होता है. जब सफलता हाथ लगती है. तब दुनिया साथ देती है. यह दुनिया की रीत है. रोना अकेले मे पड़ता है. हँसने के लिए जमाना है. 

परंतु जब तक सफलता हाथ नही लगती. तब तक आप उस बंजर भूमि में काम करते हैं. जहां आपको कोई नहीं जानता. जहां आपको कोई नहीं पहचानता.

 जहां सिर्फ और सिर्फ होती है. आपकी मेहनत, आपके विचार,  आपकी तनहाइयां.

आपका अपनों का साथ जो सिर्फ हौसला देते हैं. धैर्य रखो सफलता आपके हाथ अवश्य लगेगी. 

उस आश्वासन को उस भरोसे की मशाल से जब व्यक्ति आगे बढ़ता है.

तब सफलता प्राप्त करता है. उसके पश्चात उस बंजर भूमि में जो रंग बिरंगे फूल खिलते हैं. वही सौगात लेकर प्रस्तुत हुई है. हमारी पुस्तक रंग बिरंगे.

 लेखक मान सिंह नेगी

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मान सिंह नेगी

मान सिँह नेगी, उम्र 52 वर्ष,स्नातक बी ए हिंदी आनर्स, उत्तम नगर नई दिल्ली-110059, उतराखंड का निवासी. दिल्ली मे हीं जन्म, पढ़ाई लिखाई, विवाह हरिद्वार उतराखंड से. लिखने के शोक के कारण डाक्टर मान सिँह नेगी लिखता हू. पत्नी का नाम पुष्पा नेगी दो बच्चे बड़ा बेटा सौरभ नेगी, प्रबंधक छोटे बेटे गौरव नेगी ने बी.काम किया है स्वर्गीय पिताजी नन्दन सिँह माता जी लक्ष्मी देवी

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