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Sameera / समीरा Collection of short stories

Author Name: Dr. Tara Singh | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

         डॉ. तारा, हिंदी साहित्य जगत की एक सफल कथाकार हैं | इनकी बेमिसाल लेखनी के माध्यम से , जब किसी गरीब ,बेवश की आहें फूटती हैं , तब पाठक का मन दर्द से कराह उठता है | कथानक के समस्त पात्र और घटनाएँ काल्पनिक होने के बावजूद, सजीव होकर बातें करने लग जाती हैं | सामाजिक कुरीतियों और विषमताओं को उजागर करती, डॉ. तारा ने, ‘समीरा’ को एक मानवीय रूप ग्रहण कराकर आप पाठकों के समक्ष रखने की कोशिश की है | इस कहानी-संग्रह में कुल उन्नीस छोटी-बड़ी कहानियाँ हैं | इन्हें पढ़ने से ऐसा महसूस होता है, ‘ये सभी कहानियाँ गढ़ी नहीं, बल्कि घटित हुई हैं | काल-प्रवाह में वर्षों से फैला हुआ चौड़ा पाट इन्हें एक दूसरे कहीं नहीं मिलने देता, परंतु विचार में उनकी स्थिति एक नदी तट से प्रवाहित दीपों के समान है| कुछ कम गहरी मन्थरता के कारण,उसी तट पर ठहर जाती हैं, कुछ समीर के झोंके से उत्पन्न-तरंग-भंगिमा में पड़कर दूसरे तट की दिशा में बह चलती हैं , तो कुछ बीच-धार की तरंगाकुलता के साथ एक अव्यक्त क्षितिज की ओर बढ़ जाती हैं | परन्तु दीपदान देनेवाले उन्हें अपनी अलक्ष्य छाया में एक रखते हैं | यही विश्वास डॉ. तारा का भी है |

          छोटी बहू शीर्षक कहानी में लेखिका, आज के रिश्तों के गिरते स्तर पर दुखी होकर कहती हैं, ‘कभी इस समाज में श्रवण कुमार और भगवान राम जैसे पुत्र-रत्न भी जनम लिए, जिन्होंने अपने जीवन का हर सुख ,अपने माता-पिता के चरणों में समर्पित कर दिया |’ बीतते युगों के साथ रिश्ते भी बदल और अब तो रिश्ते के सिरे में खून की जगह पानी बहने लगा | ‘लांछन’ शीर्षक कहानी में नारी उत्पीड़न एवं शोषण,उन सीमाओं को लाँघती प्रतीत होती है , मानो नारी नहीं, कोई निरीह पशु हो | कुल मिलाकर समीरा एक उत्कृष्ट कहानी-संग्रह है |

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डॉ. तारा सिंह

डॉ. तारा सिंह, जाने-माने हिंदी साहित्यकार, एक बहुमुखी लेखक, कविताएँ, लघु कथाएँ, उपन्यास, गजलों, फिल्मी गीत और निबंध पुस्तकें लिखने में गहरी रुचि लेती हैं।

वे हमेशा वास्तविक तथ्यों और व्यक्तियों / परिवार के सदस्यों / दोस्तों के बीच संबंधों के मूल पहलुओं से संबंधित होता है। इस प्रकार, वे न केवल सुखद प्रेम का चित्रण करती है, बल्कि निराशा, विश्वासघात और अव्यवस्था जैसे विषयों पर भी लिखती रही हैं।

44 पुस्तकों के प्रकाशन के साथ, वे वर्तमान में www.swargvibha.com (एक प्रमुख हिंदी वेबसाइट) और स्वर्गविभा हिंदी त्रैमासिक पत्रिका के प्रधान संपादक और प्रशासक के रूप में काम कर रही हैं। सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों, व्यक्तिगत और सामाजिक विषयों, जीवन के दर्शन और वास्तविकता, जन्म और मृत्यु चक्र, आदि से सम्बंधित रचनाओं में, इन्होंने अपनी भावनात्मक और विचारशील कविताओं, कहानियों और गजलों के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है।
इन्हें पुरस्कारों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा 255 पुरस्कार / सम्मान / ट्राफी से सम्मानित किया जा चुका है। इनकी रचनाएँ / पुस्तकें अब www.swargvibha.com और www.kukufm.com (ऑडियोबुक के रूप में), Google पुस्तकें, www.amazon.in, www.flipkart.com, इंस्टा पब्लिश, सुमन प्रकाशन, www.pothi.com, सेंट्रल एंड स्टेट लाइब्रेरीज़ इन इंडिया और 30 अन्य वेबसाइटें दुनिया भर में, आदि पर उपलब्ध हैं। इनकी जीवनी बार्न्स एंड नोबल (यूएसए 2011) द्वारा और रिफासिमेंटो इंटरनेशनल द्वारा, “हूज़ हू” 9 बार (2006-2019) और विकिपीडिया में प्रकाशित की गई है। इनकी रचनाएँ हमेशा गंभीर विचारों, विषयों, घटनाओं की गति और जीवन के दर्शन से भरी होती है।

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