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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रस्तुत काव्यसंग्रह ' संस्कृति के झरोखे से' भारत के विभिन्न त्योहारों और जयन्तियों को मेरी तुच्छ बुद्धि द्वारा कविता के रूप में लिखने का प्रयास है। इसे लिखने के पीछे मेरी मेरी मंशा यह रही है कि कोई भी व्यक्ति या स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जब कभी भी त्योहारों या जयन्तियों के बारे में कोई कविता खोजें तो उन्हें आसानी से एक ही जगह उपलब्ध हो जाएं।
भारतवर्ष त्योहारों और जयन्तियों का देश है जंहा हररोज कोई ना कोई त्योहार या किसी ना किसी महापुरुष की जयंती मनाई जाती है, जो हमारे मनों में प्रेरणा और उत्साह फूंकने का काम करती है। फिर चाहे वो माँ दुर्गा के प्रति आस्था की प्रतीक नवरात्र पूजा हो, माता द्वारा अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखे जाने वाला अहोई माता का व्रत हो, पत्नी द्वारा अपने पति की मंगल कामना हेतु रखे जाने वाला करवाचौथ का व्रत हो, अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक दशहरा हो, भगवान राम के अयोध्या वापस आने की ख़ुशी में मनाया जाने वाला दीपों का पर्व दीपावली हो, सब को एक ही रंग में रंग देने वाला मस्ती का त्योहार होली हो या फिर स्वामी विवेकानंद या महाराणा प्रताप सरीखे महापुरुषों की जयंती हो, इन त्योहारों और जयन्तियों के गर्भ में छिपी आपसी सोहार्द की भावना सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बंधने का सन्देश देती है |
डॉ. मुकेश अग्रवाल
डॉ. मुकेश अग्रवाल (14 सितम्बर 1974)
जन्म स्थान : घरौंडा (करनाल)
शिक्षा : बी.ए.एम.एस., एम.ए. (एम.सी.),
एल.एल.बी., एल.एल.एम., एम.डी. (ए.एम.),
डी.फार्मा, एन.डी.डी.वाई., पी.जी.डी.एच.आर.एम.
प्रकाशित काव्य-संग्रह: सिर्फ एक मानव हूँ मैं, वक़्त के दरमियाँ, भोर की ओर, कस्तूरी कुण्डल बसे, दुनिया गोल है बाबू
प्रबंध निदेशक : वी.एच.सी.ए. हर्बल्स प्रा.लि.
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