...उसने मुड़ के जैसे ही देखा मानो उसके होश ही उड़ गए वह स्नेहा को देखता ही रह गया. लाल साड़ी, बालो का बड़ा सा जूड़ा, झील सी गहरी और सुंदर आँखे; उसमें चार चांद लगाता हुआ काजल, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके होठ और उसके श्रृंगार को पूरा करती उसके माथे पर वो छोटी सी लाल बिंदी वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. वह इस बात को सिद्ध कर रही थी कि सुंदरता का रंग से कोई नाता नहीं है !