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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palभारत एक निश्चित भौगोलिक सीमाओं से आबद्ध एक आध्यात्मिक देश है जिसकी भौगोलिक सीमा से परे एक आध्यात्मिक औरा भी है,जिसका प्रभाव अनादि काल से वैश्विक स्तर पर भी रहा है,और इसी के आलोक से हमारा वर्तमान भी आलोकित होता रहता है।आज हम भारतीय स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मानते हुए यह महसूस कर रहे हैं कि हमने विकास और परिष्कार एक लम्बी यात्रा के अनेकानेक पड़ावों में स्वाधीनता आन्दोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।स्वाधीनता आन्दोलन का सर्वाधिक महत्व इस बात में है कि इस आन्दोलन ने पूरे भारत के एकबार फिर से संगठित किया।क्षेत्रीय आकांक्षाओं और क्षेत्रीयता बोध से ग्रसित भारतीय जनमानस के स्वजागरण की दिशा में इस आन्दोलन का विशेष महत्व है। स्वजगारण के माध्यम से एक लम्बे समय तक स्वबोध से वंचित समाज में चेतना को जागृत करना अपने आप में महत्वपूर्ण है।
भारतीय स्वजगारण इस अर्थ में और भी महत्वपूर्ण है कि यह अपने विस्तार में पूरे भारत में देखने को मिलता है । भाषा,रहन-सहन,जातिगत आग्रह और क्षेत्र की सीमाओं से परे जाकर भारतीय समाज ने अपने स्व की प्राप्ति के निमित्त संगठित प्रयास किया । इस स्वजगारणके अनेक चरण देखने को मिलते हैं। स्वजगारण के विविध चरणों पर दृष्टिपात करना आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रासंगिक ही नहीं अपरिहार्य है ।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.प्रो. कुमार रत्नम डॉ.अमरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
प्रोफेसर कुमार रत्नम रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली से इतिहास विषय में परास्नातक, 1986 से शोध कार्य में संलग्न रहते हुए वर्ष 1987 में मेरठ विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में एमफिल और 1990 में वहीं से पीएचडी तथा 1998 में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से डी. लिट
उपाधि प्राप्त की प्रो. भारतीय इतिहास, दर्शन एवं साहित्य के मर्मज्ञ अध्येता है। इतिहास, चित्रकला और पर्यटन जैसे विषयों में अपनी विशेष रुचि के कारण इन विषयों के अध्येताओं का निरंतर मार्गदर्शन करते रहे हैं। आप गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में राष्ट्रपति द्वारा नामित प्रतिनिधि रहे हैं। प्रो. रत्नम जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के अध्ययन मंडल के अध्यक्ष के साथ-साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों में अकादमिक परिषद, संकाय एवं उपाधि चयन समितियों के भी सदस्य हैं। आपने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी/ कार्यशालाओं की अध्यक्षता एवं सहभागिता भी की । प्रो. रत्नम विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं के संपादक एवं मार्गदर्शक मंडल के सदस्य भी हैं आपके अनेकों शोध पत्रों का प्रकाशन हुआ।
संप्रतिः वर्तमान में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन ग्वालियर में कार्यरत है इसके साथ ही वर्तमान में नव नालंदा महाविद्यालय (सम विश्वविद्यालय) नालंदा (बिहार) के शासी निकाय के सदस्य भी हैं। आप पूर्व सदस्य सचिव भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के पद पर कार्यरत रहे है। संपर्क E-mail kumarratnam65@gmail.com, 9425338280
डॉ अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ से 2009 में स्वातंत्र्योत्तर उत्तर हिंदी उपन्यासों के विविध भाषिक संदर्भ एक अनुशीलन विषय पर पीएचडी 2007 से अद्यतन अध्यापन एवं शोध । विधिक हिंदी (2018) स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों के विविध भाषिक संदर्भ एक अनुशीलन (2019) का प्रकाशन ।
सांझा संग्रह में कविताओं का प्रकाशन राष्ट्रीय कर्तव्य और उच्च शिक्षा (2017) Issued and Challenges in Globalized World (2019) हिंदी उपन्यासः विधिक परिपेक्ष (2020) पुस्तकों का संपादन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में 20 से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन संपति 2016 से अमेठी विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ कैंपस में सहायक आचार्य पद पर अध्यापन
E-mail amarendrasrivastava@outlook.com 9450616530,7905449391
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