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Tambaaku Niyantran Ke Mudde / तम्बाकू नियंत्रण के मुद्दे

Author Name: Dr. Rakesh Gupta | Format: Paperback | Genre : Self-Help | Other Details

क्या आप जानते हैं कि तम्बाकू महामारी से भारत में प्रतिवर्ष ~15 लाख वयस्क मर जाते हैं!? 

यदि आपका उत्तर "नहीं" है, तो निश्चित ही यह पुस्तक आपके लिए तो उपयोगी है और उन सभी के लिए भी जो कि भारत में एक प्रभावी तम्बाकू नियंत्रण प्राप्त करने की एक सकारात्मक सोच रखते हैं। 

यह पुस्तक तम्बाकू नियंत्रण के प्रवर्तन, तम्बाकू पदार्थों की पैकिजिंग पर सचित्र चेतावनियों, नियंत्रण का समर्थन और अनुसंधान, तम्बाकू के अर्थ-शास्त्र- कर, व्यापार, लाइसेन्स और बिक्री, तम्बाकू नियंत्रण से जुड़े संवैधानिक और मानवाधिकार के पहलुओं, इसकी खेती, इससे उत्पन्न ग़रीबी और दूषित वातावरण और तम्बाकू उध्योग के कड़वे सच व हस्तक्षेप और इसकी तस्करी को वर्णित करती है। यह इस विषय पर यह आसानी-से-समझ में आने वाली भारत की पहली हिंदी पुस्तक है।

आम जन के अतिरिक्त इस पुस्तक की उपयोगिता शीर्ष सरकारी नेतृत्व एवं प्रशासन, शिक्षा- व स्वास्थ्य- प्रबंधकों और राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम में कार्यरतों के साथ-साथ सभी चिकित्सकों, परिचारिकाओं, परामर्शदाताओं, शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की लिए भी है। 

भारत में ~4,000 वयस्क तम्बाकू-जनित रोगों से पीड़ित हो समयपूर्व मर जाते है। एक प्रभावी और सफ़ल तम्बाकू नियंत्रण इस भारी राष्ट्रीय क्षति को रोक सकता है। हमारी राष्ट्रीय और प्रादेशिक सरकारें इस हेतु सतत रूप से कार्यरत हैं किंतु अब जनमानस को भी इसमें जुटना होगा, सजगता, तत्परता और सततता के साथ। 

इसलिए ख़रीदें, पढ़ें और भेंट करें इस पुस्तक को उन सभी को जो तम्बाकू नियंत्रण में एक प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं- नेताओं, प्रशासकों, मीडिया कर्मियों, चिकित्सकों और उन सभी को जिन्हें आप एक रोग-मुक्त स्वस्थ जीवन जीने के प्रति सजग और समर्पित मानते हैं।

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डॉ. राकेश गुप्ता

 भारत में डॉक्टर राकेश गुप्ता अनूठे एकमात्र केन्सर शल्य-चिकित्सक हैं जिन्होंने अपना व्यावसायिक आर्थिक सुख छोड़ इस भयावह रोग की रोकथाम में जीवन समर्पित कर दिया है। 

इनकी इस आजीवन सतत प्रेरणा वे सभी तम्बाकू-जनित रोगों से पीड़ित व्यक्ति रहे हैं जो कि तम्बाकू खाना-पीना छोड़ असामयिक मृत्यु से बच सकते हैं। 

डॉ. राकेश विगत 20 वर्षों से तम्बाकू नियंत्रण से एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह जुड़े हुए हैं। इन्होंने भारत में सर्वप्रथम धूम्रपान-रहित शहर (झुनझुनू, राजस्थान) की स्थापना के अतिरिक्त तम्बाकू-मुक्त कार्यस्थलों, अस्पतालों में ‘सिस्टम्ज़ अप्रोच’ और तम्बाकू उपचार केंद्रों के अलावा भारत की अब तक की सभी क्विटलाइनों की स्थापना में एक अहम भूमिका निभायी है। 

साथ ही, एक वृहद जनमानस को भी एक प्रभावी और सफलतम तम्बाकू नियंत्रण के तरीक़ों और लाभों से टी.वी., रेडियो, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षित और सशक्त करने के अलावा समाज के विभिन्न वर्गों और समाजों को भी सततता से तम्बाकू-मुक्त जीवन जीने हेतु जागरूक व प्रेरित करते रहे हैं।

पिछले दशक में डॉ. राकेश ने सघन रूप से राजस्थान, छतीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाड़ू, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के सेंकडों चिकित्सकों, दंत-विशेषज्ञों, परिचरिकाओं और परामर्शदाताओं को तम्बाकू नियंत्रण और उपचार में विशिष्टता से व्यक्तिगत रूप से प्रक्षिशण देने के अतिरिक्त अनेक अखिल भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों में एक अग्रणी वक्ता की भूमिका निभाई है।

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