यदि इंसान किसी भी विषय पर गंभीरता पूर्वक और पूर्वाग्रहों को हटाकर विचार करें तो सही विचार प्राप्त होता है।
जो आज हम लोग के सामने संविधान मौजूद है उसमें अधिकतर कानून पवित्र क़ुरआन में पहले से ही वर्णित है। यह पवित्र क़ुरआन के कानून लगभग आज से 15 00 वर्ष पूर्व के हैं।
लेकिन जब उन आयतों पर विचार करते हैं और गंभीरता पूर्वक पढ़ते हैं तो लगता है वह कानून आज भी मानवता के लिए बेहतर है और सदैव चलने वाले हैं। लेकिन कुछ लोग का मानना है कि यह केवल इस्लाम धर्म के कानून है लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि इन कानून का उपयोग कई अन्य धर्म के लोग भी करते हैं लेकिन चुपचाप।
जिस प्रकार से इस्लामी देश सऊदी अरब में यह पवित्र क़ुरआन का कानून अर्थात सरिया ला लागू है उस हिसाब से तो चोरी-छलकपट व बलात्कार जैसे कांड नहीं होते इसीलिए अपराध न के बराबर होते हैं।
क्योंकि जज, वकील, अदालत है वह भी पवित्र क़ुरआन के कानून मानने पर बाध्य है और उसी के अनुसार फैसला करते हैं।
इस पुस्तक में पवित्र क़ुरआन के कुछ आयतें कानून पर आधारित है कृपया पढ़ें और विचार करें और सही या गलत का फैसला आप खुद करें यदि गलत लगता है तो कृपया बताएं कि यह कैसे गलत है और सही तरीका क्या है?
मात्र कह देने से गलत नहीं होता साबित भी करना पड़ता है।
जो भी इस्लाम के आड़ में इन कानून का दुरुपयोग करता है वह मात्र बदनाम करता है इस्लाम को लेकिन एक-एक दिन सच जाहिर होता है जिससे लोग मानते हैं कि सच यही है।
यह ध्यान रहे कि ईश्वर का आदेश ही पवित्र क़ुरआन का कानून है।
कृपया पुस्तक को पढ़ें और ज्ञान बढ़ाएं और कोई कमी हो तो अवगत करायें ।
धन्यवाद
आपका- अब्दुल वहीद ,बाराबंकी, उत्तर प्रदेश,इंडि
या (भारत) ।