छाया वो स्थान है जो हमें ग्रीष्म, वर्षा और शीत के प्रकोप से बचने के लिए आश्रय देता हैं। कड़कड़ाते धूप के असह्य ताप में छाया ही वह सुकून का दरिया होता है जो हमारी सहायता करता है। कुछ इसी प्रकार का छाया-रूपी निःस्वार्थ प्रेम प्रदान करने वाले होते हैं- हमारे नाना-नानी और दादा-दादी। 'उनकी धन्य छाया' एक ऐसी ही संकलित किताब है जिसमें विभिन्न तरह के अनुभवों को समूहित किया गया है विभिन्न लेखकों के द्वारा। आईये 'उनकी धन्य छाया' के माध्यम से हम उनके प्रेम-पूर्ण ममता और