इस किताब में समाज में बीत चुके कुछ घटना जिसमें हम लोगो को एक जुट होकर उसके खिलाफ लड़ना चाहिए था। गौरतलब है कि हम सिर्फ दुख व्यर्थ कर सकते हैं और हमेशा के तरह हम मोमबत्ती लेकर चौक चौराहों तक जाना उचित समझते है।
देख कर अनदेखा करना भी पाप के श्रेणी में आता है।
इस किताब में हमारे भारतीय ग्रंथों के कुछ महत्वपूर्ण किरदार का भी हमने उल्लेख किया है जिसकी भूमिका हमारे जीवन के कुछ बदलाव हेतु जरूरी है।।