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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रस्तुत पुस्तक बचपन के स्मृतियों और वक़्त के निरंतर चलते रहने से उसमें होने वाली क्षति को कविताओं के माध्यम से दर्शाने को कार्य करती है। इस बात में कोई संदेह नहीं की वक़्त के साथ भागते-भागते अतीत के कई ऐसे क्षण होते हैं जिनका वर्तमान में कोई लेखा जोखा नहीं होता। पर वो इतने सुंदर और इतने लुभावने होते हैं कि हमारा मन बार बार वर्तमान में उनके जीवंत होने की कल्पना करता है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही क्षणों के संकलन से सजी हुइ कविताओं का एक संग्रह है जिसके द्वारा अतीत के अंधकार में खोयी हुइ स्मृतियों को वर्तमान के प्रकाश में लाने का एक प्रयास मात्र किया गया है।
पीयूष तिवारी
माँ विन्ध्यवासिनी की पावन नगरी मीरजापुर में जन्म होने का गौरव प्राप्त होने के साथ ही शुरू से हिंदी भाषा के प्रति मेरा विशेष लगाव रहा है। एक गौरव की बात यह भी रही है कि जहाँ मेरा जन्म हुआ वह हिंदी साहित्य के सम्माननीय लेखक श्री रामचनद्र शुक्ल जी का भी निवास स्थान रहा है। सन् 2017 में जी. डी. बिनानी पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज मीरजापुर से ग्रैजुएशन करने के बाद वर्तमान में मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूँ पर खाली समय में कविता लिखने की मेरी आदत ने ही मुझे ये एक छोटा सा प्रयास करने पर विवश किया। मेरे दृष्टि में अपने मन की बात को कविताओं के माध्यम से कहने से अच्छा और कोई तरीका नहीं हो सकता। क्योंकि इससे बातों में स्थिरता आ जाती है और भविष्य में अपनी बात से पलटने का कोई मलाल नही रहता। मै अपनी इस कला को अपने शौक और मनोरंजन का साधन दोनो ही मानता हूँ जो मुझे मेरी बात को ठीक वैसा ही कहने की स्वतन्त्र अनुमति देती है जैसा मैं चाहता हूँ। परमेश्वर मेरी सहायता करें।
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