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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palभूमिका
अनेक सम्भावनाओं से लक-दक यह कविता-संग्रह, एक नितान्त अज्ञात कवयित्री सुश्री कामिनी श्रीवास्तव के कवि-मन की अन्तर्भू से निसृत हुआ है और बहुत ही सक्षमभाव से उनकी पहचान का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का छन्दमुक्त कविता लिखना उस काल-खण्ड का हिन्दी-काव्य-साहित्य का सुनामी बन कर आया और अनेक स्थापित कवि-साहित्यकार बौखला गए। कोई कहता निराला ने छन्द तोड़ दिया, कोई कहता यह भी कोई कविता है आदि,आदि। अन्ततोगत्वा निराला की विजय हुई और कहा गया कि निराला ने नव-छन्द जोड़ा था। बहुत से कवि मनीषियों ने उसी छन्द-मुक्त कविता की राह पर चल कर बहुत नाम अर्जित किया।
कामिनी जी का वर्तमान काव्य-संग्रह भी उसी नव-काव्य-विधा की दिशा में एक सफल प्रयास है।
कामिनी श्रीवास्तव
कामिनी श्रीवास्तव : एक परिचय
जन्मभूमि : बिहार।
सारी शिक्षायें पटना के सरकारी विद्यालय और बाद की उच्च शिक्षा पटना विश्वविद्यालय से हुई। आपने प्राणिविज्ञान और शिक्षा में स्नातकोत्तर किया है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में विशारद (भातखंडे संगीत विद्यापीठ, लखनऊ) और मणिपुरी नृत्य में विशारद (भारतीय नृत्य कला मंदिर) किया है। पटना विश्वविद्यालय से सन् 2001में आपने वक़ालत की शिक्षा ग्रहण करने के बाद सन् 2005 में दिल्ली को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और दिल्ली में ही अधिवक्ता हैं और एक कर्मठ और ईमानदार वकील के नाम से मशहूर हैं। आपने अभी तक लगभग सारे मुकदमें जीतें हैं और "रूद्र प्रसाद लॉ फर्म" (रूदल सहाय लॉ फर्म) स्थापित किया है, जिसकी शाखायें पूरे भारतवर्ष में है। आपने सन् 2016 में "डिप्लोमा इन साइबर लॉ", एशियन स्कूल ऑफ लॉ, पुणे किया।
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