You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस किताब “ज़िंदगी का सफर” में उम्र के तीनों पड़ावों का समावेश है। बचप्पन से लेकर बुढ़ापे तक , एक सफर ही है जो तय करना है। इस सफऱ में माँ-बाप, दोस्ती, रिश्तेदारी और इन सबका प्यार, सारा एक भावनात्मक पहलु है। इसमें गम- खुशी, सुख-दुख, दर्द मर्ज़ , महफिल-तनहाई सबको शब्दों के सांत्वना में पिरोया हुआ है।
आपको इन शब्दों में वोह मिले जिससे आपका सफर जुड़ा हआ है।
ज़िंदगी का सफर है ग़ालिब
इस मोड़ से शुरु हुआ तो क्या
किसी मोड़ पर इसका अंत है
गेहर सिंह ठाकुर
मेरा जन्म, 16 दिसम्बर 1993 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िला में पड़ने वाले काईस वैली के छोटे से गांव “सौर” में हुआ। हमारी पुश्ते पिढ़ियों से कृषी करता आयी है, और आज भी परिवार इसी व्यवसाय में जुड़ा है। और इसी से जीवन निर्वाह होता है। अब बागवानी की औऱ ज्यादा रुझान हुआ है।
मेरा बचप्पन , गांव में खेलते हुए औऱ प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के स्कूल में हुई। उसे बाद माध्यमिक और उच्च शिक्षा दुसरे गाँव के विध्यालय औऱ उच्चतम शिक्षा कुल्लू के महाविध्यालय में हुई। मैंने [botany] पादप विज्ञान में स्नातक की शिक्षा ग्रहण की है।
जैसे जैसे वक्त गुज़रता गया , मेरा रुझान इस विषय से हटकर लेखन में बढ़ने लगा। ख्यालों में कहानियां बुनने लगा और, गीतों को सुनते हुए , शब्दों को एक कवि की तरह पीरोने लगा। बक्त के साथ, बढ़ते हुए कुछ कागज़ कलम की स्याही से भर दिये, और धीरे धीरे , उन्होने कहानी और , कविताओं का रुप ढाल लिया।
यह मेरी पहली पुस्तक है, “ज़िंदगी का सफऱ”।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.