हिंदू जीवन पद्धति में बदलाव लाने के कई प्रस्ताव पहले भी हो चुके थे लेकिन इसमें शोषित, पीड़ित, अपमानजनक जीवन जीने वालों तथा सभी समाज की महिलाओ के जीवन यापन में सुधार या कोई भी बदलाव नहीं परिलक्षित नहीं हुआ।
ब्रिटिश सरकार के प्रयास भी जब कोई बदलाव न ला सके तो हिंदुओं में सुधार के लिए बाबा साहब डा॰ भीम राव अंबेडकर ने संविधान सभा के सामने 11 अप्रैल 1947 को पहली बार हिंदू कोड बिल पेश किया।
लेकिन कट्टरवादी हिंदुओं खासकर आर॰ एस॰ एस॰, रामराज्य परिषद व अन्य कट्टर दक्षिणपंथियों के कड़े विरोध के चलते उनका का यह प्रयास सफल नहीं हुआ। इस बिल को 9 अप्रैल 1948 को सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया।
अगर बाबा साहब डा॰ भीम राव अंबेडकर का यह प्रस्ताव पास होकर कानूनी रूप पा जाता और जातिवाद की घिनोनी प्रथा पर कट्टरवादी हिंदू लगाम लगाने पर सहमत हो जाते तो शायद बाबा साहब हिन्दू धर्म त्यागने के विचार पर अवश्य फैसला लेने के पहले सोचते।
हिन्दू कोड बिल पर एक व्यापक चर्चा करके मैंने सत्य को सभी के सामने लाने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल हुआ हूँ यह निर्णय मैं पाठक गणों पर ही छोडता हूँ। आशा है उनको यह मेरा प्रयास अवश्य ही रुचिकर लगेगा और इसकी प्रशंसा करेंगे।
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