कृष्णा की कहानी आम आदमी से हट कर है, उन दिनों अस्पर्श परिवार में जनमी बाल विवाहिता लड़की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और समाज में अपनी पहचान और अपने स्व-अस्तित्व के लिये किन-किन परिस्थियों का सामना करती है, उसका विवरण उसकी अभिन्न सखी शैला जो स्वयं 13 वर्ष की अवस्था में अनाथ होती है और अपने मामा परिवार की दुलारी होते हुए भी, समाज के आगे नतमस्तक होकर अपनी स्वयं की पहचान नहीं बना पायी।