“क्या हिंदू क़ौम ज़िंदा रहेगी?” एक ऐसी महत्वपूर्ण पुस्तक है जो भारत की सांस्कृतिक चेतना, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों, वैचारिक संघर्षों और सभ्यता के भविष्य पर गंभीर प्रश्न उठाती है। यह पुस्तक बताती है कि हिंदू समाज किन ऐतिहासिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, आर्थिक और डिजिटल चुनौतियों से गुजर रहा है—और इनके समाधान कहाँ छिपे हैं।
पुस्तक में मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण, शिक्षा में पक्षपात, वोकिज़्म, धर्मांतरण, जनसंख्या असंतुलन, डिजिटल ब्रेनवॉश, मीडिया नैरेटिव, न्यायिक असमानता, इतिहास का विकृतिकरण, वैश्विक हिंदू पहचान और भविष्य की रणनीति जैसे विषयों पर तार्किक, शोध-आधारित और प्रमाणिक विश्लेषण प्रस्तुत है।
यह पुस्तक केवल समस्याएँ नहीं बताती—यह समाधान, नीतियाँ, व्यावहारिक कदम और 100-वर्षीय Hindu Civilizational Vision भी प्रदान करती है।
यह उन सभी पाठकों के लिए आवश्यक है जो भारत के सांस्कृतिक भविष्य, समाज की मजबूती और सनातन सभ्यता की निरंतरता को लेकर गंभीर हैं।
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