भूमिका
जब तन मन का जुड़ाव मिट्टी के कणों से होकर अक्षरों में ढलकर किसी कविता या संग्रह का हिस्सा बनता है तो वास्तव में उन रचनाओं को जीने का मन करता है। कवि द्वारा जी ली गई इन रचनाओं में हमारे आसपास की घटित संवेदनशील एंव भावनात्मक अनुभूतियां हम सब के लिए आत्मसात करने के प्रयोजन से किसी संग्रह का हिस्सा बन हमारे आचरण एंव जीने की कला को घढ़ने लगती हैं। आज के इन नये नये सोशल मीडिया उपकरणों में फंसी जीवनरेखा प्रकृति, पर्यायवरण, सामाजिक बन्धन रिश्तों व भावों से बाईपास होते हुए कठोरता के आवरण में ढकी चली जाती है। साहित्य की कोमल विधा कविता की मार्मिक शब्दावली में सामाजिक, प्राकृतिक परिवेश के विचारों को पिरोकर मन के सुप्त कोनों में आदर्श भावों से